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Wednesday, March 7, 2012

महिला दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएँ

प्रिय दोस्तों
आज महिला दिवस और होली दो- दो अवसर एक साथ आये है. आप सभी को होली कि हार्दिक शुभकामनाएँ . और सभी महिलाओ को महिला दिवस कि हार्दिक शुभकामनये .


होली क्यों मनाई जाती है ..कहा कि होली प्रसिद्ध है ये हम सब जानते ही है .
अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस कब और क्यों मनाया जाता है ये में पहले ही यहाँ अपने ब्लॉग पर एक पोस्ट में आप सभी को बता चुकी हूँ .


हां आज हम कुछ बात कर सकते है होली और महिलाओ की. अब इस बात से सबसे पहला जो नाम आता है एक महिला का वो हम सब जानते है ...अपने कन्हाई कि प्यारी राधा राणी  . राधा और कृष्ण की बरसाने या ब्रज  की  होली विश्व प्रसिद्ध है.  फिर राधा का नाम आये और सखियाँ न आये ध्यान ऐसा भी नहीं हो सकता .नन्द का छोरा अगर अपने साथ सब ग्वाल बाल को लेकर बरसाने जाता ..राधा के संग होली खेलने, तो सखियाँ भी होली के रंग में  रंग कर  कान्हा के और ग्वाल बाल  के साथ खूब होली खेलती चुहल बाजी करती.
और बस होली के साथ साथ रास भी होता राधा कृष्ण का. बरसाने कि लठमार होली के विषय में भी सबने सुना ही होगा.  उसका अपना ही मज़ा है . ये तो हुई राधा कृष्ण कि होली. अब आज कल कि होली में होली कम छेड़ छाड ज्यादा है और पहले जहाँ फूलो के रंग से रंग मनाये जाते थे य फूलों कि होली होती थी वोही अब हानिकारक केमिकल्स से बने रंगों से होली खेल कितने ही लोगो कि आंखे खराब हो जातीहै व कितने ही लोगो को त्वचा सम्बन्धी रोग हो जाते है .अक्सर लोग महिलाओ के साथ ऐसा बर्ताव करते है जो उन्हें नहीं करना चाहिए . इसलिए बहुत  कम  महिलाये होली खेलना आज के समय में पसंद करती  है . क्यों कि होली के रंग और होली का हुडदंग दोइनो ही उनको ऐसा करने से रोकते है. तो क्या आज महिला अपनी मर्ज़ी से कोई त्यौहार भी नहीं मन सकती ?? ये प्रश्न सहज ही मन में आता है.
अब रात का काफी समय हो चूका है इसलिए ये प्रश्न और इसका उत्तर इस विषय में आप खुद ही सोचो में चली.
आप सभी को होली कि हार्दिक शुभकामनये
और महिला मित्रों को महिला दिवस कि शुभकामनाएं






time...2.00 am

Monday, March 5, 2012

tribute to jagjit singh ji by Gulzar, bhupendra ji, mitalli ji






कल शाम को अर्थात ४/३/१२ को  एक प्रोग्राम :-" tribute to jagjit singh ji by Gulzar, bhupendra ji, mitalli ji and salim arif" में मैंने शिरकत की. देल्ही के सिरिफोर्ड ऑडिटोरियम में ये प्रोग्राम था . एक अनोखा अनुभव था तो लेकिन जो सोचा था वैसा कुछ नहीं मिला. जगजीत सिंह जी के लिए रकहे गए tribute me उनका ही कहीं पता नहीं लगा. कुछ पल 1st half me आये जब गुलज़ार जी ने जगजीत सिंह जी के बारे में बात कि तो अच्छा लगा. किन्तु बाद में दर्शको को अपनी पसंद बार बार कहनी पढ़ी मगर कुछ ही पूरी हो सकी. वहाँ हमें गुलज़ार जी ने कई वाक्यात बताये उनके और जगजीत सिंह जी के बीच कि नोकझोंक के, वोही भूपी जी(भूपेंद्र जी जिनको सभी प्यार  से भूपी बोलते है)  अपने और जगजीत सिंह जी के जीवन के शुरुआती दिनों के सन्घर्ष के दिनों के विषय में बताया. 
कुल मिला कर एक खूबसूरत शाम थी ये .