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Monday, September 14, 2015

हिंदी माथे की बिंदी



आज हम हिंदी दिवस मना रहे है और इस समारोह में हर जगह हिंदी के उत्थान की बात कर रहे है | पर क्या मात्र एक दिवस मना कर हिंदी के प्रति हम अपने कर्तव्य को सम्पूर्ण मान लेते है? जबकि अधिकांश लोग आज कल हिंदी को सार्वजानिक तौर पर इसलिए नहीं बोलते क्यों की उन्हें लगता है अंग्रेजी में बात करके वो खुद को ज्यादा सभ्य दर्शा सकते है | नहीं ऐसा कदापि नहीं होना चाहिए , हिंदी भारत की आत्मा में रची बसी है यह भारतीयता की पहचान है | आज हमारी अपनी भाषा हिंदी अपने ही देश में फिर से अपनी पहचान बनाने को जूझ रही है|

हिन्दी भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ उत्तर एवं मध्य भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में ६० करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की अधिकतर और नेपाल की कुछ जनता हिन्दी बोलती है।

हिन्दी राष्ट्रभाषा, राजभाषा, सम्पर्क भाषा, जनभाषा बन कर विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। किन्तु दुर्भाग्य हिंदी का एक मात्र यही है अपने ही घर में इसका तिरस्कार हो रहा है,| हिंदी का अपने ही लोगो द्वारा हो रहा तिरस्कार हिंदी को पतन की ओर ले जा रहा है |

हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और शब्दावली के स्तर पर अधिकांशत: संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करती है। प्राचीन काल में भारत में संस्कृत, प्राकृत, पालि, अपभ्रंश आदि भाषाओं का राजभाषा के रूप में प्रयोग होता था। राजपूत काल में तत्कालीन भाषा हिन्दी का प्रयोग राजकाज में किया जाता था। किंतु भारतवर्ष में मुसलमानों का आधिपत्य स्थापित हो जाने के बाद धीरे-धीरे हिन्दी का स्थान फ़ारसी और अरबी भाषाओं ने ले किया। इस बीच में भी राजपूत नरेशों के राज्य क्षेत्र में हिन्दी का प्रयोग बराबर प्रचलित रहा। मराठों के राजकाज में भी हिन्दी का प्रयोग किया जाता था। आज भी इन राजाओं के दरबारों से हिन्दी अथवा हिन्दी-फारसी, द्विभाषिक रूप में जारी किए गए फरमान बड़ी संख्या में उपलब्ध है। यह इस बात का द्योतक है कि हिन्दी राजकाज करने के लिए सदैव सक्षम रही है। किंतु केंद्रीय शक्ति मुसलमान शासकों के हाथ में चली गयी तो हिंदी को यह अवसर प्राप्त नहीं हो पाया कि सभी क्षेत्रों में उसकी क्षमता एवं सामर्थ्य का पूर्ण विकास हो पाता।




हिंदी का महत्त्व


1. हिंदी भाषा भारतीयता का एक प्रतीक है|

2. हिंदी को भारत के संविधान के द्वारा मुख्य भाषा होने का गौरव प्राप्त है|

3. हिन्दी भारत में करोड़ों लोगों को रोजगार प्रदान करती है|

4. हिंदी भारत में अनमोल संपर्क भाषा के रूप में कार्य करती है|

5. हिंदी का क्षेत्र अन्य किसी भी भारतीय भाषा की तुलना में अधिक व्यापक है|
6. दुनिया में चायनीज़ और अंग्रेजी के बाद हिंदी बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है|
7. हिन्दी भारत के प्रमुख राज्यों में बोली और समझी जाती है|

8. हिंदी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण हथियार था|
9. हिंदी विविधता में एकता का प्रतीक है|

10. हिंदी राष्ट्रीय चेतना की वाहक रही है|

11. हिंदी भारत देश की आत्मा में बसती है|
12. हिंदी भारत की अखंडता की प्रमाण है|
13. हिन्दी ने देश की सभ्यता, संस्कृति और विरासत में प्रमुख भूमिका निभाई है|
14. सभी भारतीय भाषाओं में हिंदी प्रमुख है|

15. हिंदी से हिन्द है , हिंदी से हिन्दू है |





संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है, हिंदी को वैज्ञानिक भाषा होने का दर्ज़ा प्राप्त है | यह सरल और लचीले स्वाभाव की भाषा है किसी अन्य भाषा के शब्दों को यह आसानी से आत्मसात कर लेती है | इतनी खूबियाँ होते हुए भी हमारी अपनी मातृभाषा हिंदी , जन जन की भाषा हिंदी अपनी पुनर्स्थापना हेतु संघर्ष कर रही है | आओ हम सभी जन मिल कर भारतीयता की पहचान हिंदी को अपनाए और इसे विश्व में सही स्थान दिलाये , यह देश प्रेम की भाषा है जो समस्त देश को जोडती है इसे और मजबूती के साथ समाज के सभी स्तरों तक प्रचारित प्रसारित करे, तभी हिंदी दिवस का मनाया जाना सार्थक होगा|

Thursday, September 10, 2015

विश्व हिंदी सम्मलेन १० सितम्बर १५ से १२ सितम्बर १५


आज ही भारत में विश्व हिंदी सम्मलेन का उद्घाटन भोपाल में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया| ३ दिन चलने वाले  इस सम्मलेन में बहुत से लोग अधिकारिक रूप में शामिल हो रहे है , बहुत से लोग पंजीकरण करा के इसमें भाग ले रहे हैं , देश विदेश से काफी संख्या में लोग इसमें सम्मिलित हो रहे है , और एक वर्ग ऐसा है जो इस सम्मलेन में शामिल नहीं हो पाने के कारन अन्दर ही अन्दर घुटन , पीड़ा महसूस कर रहा है | ये वो वर्ग है जो हिंदी लेखन द्वारा हिंदी के प्रचार प्रसार में सहयोग में लगा हुआ है और आज इसका दर्द येही है की जब हिंदी की बात बड़े रूप में हो रही है तब इस वर्ग को अलग थलग रखा गया है , ऐसा क्यों?
हिंदी के प्रचार प्रसार में आज इंटरनेट एक बड़ा माध्यम बना है जिसकी सहायता से हिंदी भाषा के ल्लिये कम कर रहे है लोग एक दुसरे से जुड़े , और हिंदी में लेखन करने वाले लोग एक दुसरे से जुड़े | लेकिन इन सभी को दरकिनार कर इनके योगदान को नकारा गया है या व्यर्थ मान लिया गया है, ये प्रश्न आज हिंदी में ब्लॉग , या अन्य लेखन कार्य कर रहे लोगो में एक घुटन या पीड़ा पैदा हुई है , जो किसी भी प्रकार से सही नहीं है| इस और इस सम्मलेन को करा रहे लोगो का ध्यान अवश्य जाना चाहिए जिससे अधिकाधिक  लोग हिंदी को सम्मान  की दृष्टि से देखे|