दोस्तों मेरे कुछ ख्याल या अहसास जिनको में कविता का रूप देना नहीं चाहती हूँ , वो आपके सामने में यहाँ कहानी या लेख के रूप में लेकर आती हूँ ताकि में उस ख्याल या अहसास के साथ इन्साफ कर सकूँ या ये कहू की जिससे वो अपनी सही पहचान पा सके..
Monday, October 25, 2010
करवा-चौथ .... Karva Chauth
Sunday, October 24, 2010
“फाग करे अनुराग “
आज कल फाग का मौसम है और अनुराग मतलब प्यार ये प्यार का भी मौसम है .
तो फाग अर्थात फाल्गुन और अनुराग मतलब प्यार एक दूसरे के पूरक है .
प्यार और फाल्गुन का हमारे हिन्दुस्थान मैं प्राचीन कल से ही सम्बन्ध रहा है.
कृष्ण और राधा ..बरसाने कि होली को अमर कर गए अपने प्यार भरे होली खेलने के अंदाज़ से.कृष्ण और राधा इस फाग के महीने में रंगों में डूब कर अपने प्रेम मैं सरोबार हो कर हर तरफ प्रेम कि बारिश करते थे ..वही बारिश इस फाल्गुन में आज भी होती है.
ये महीना हर तरफ बहुत प्यार भरा और रंग बिरंगा होता है .चाहे होली के रंग हो या प्यार के रंग हो या फिर प्रकृति द्वारा बिखेरे गए मन मोहने वाले फूलो के द्वारा बिखेरे गये रंग हो . बस इस रंगीन प्यार भरे माहौल में कौन सा इंसान नाच नहीं उठेगा .
द्वापर युग में कृष्ण और राधा ने जो फाल्गुन में प्यार का रंग भरा अब भी सबके ऊपर चढा है और हम सब को ये महीना अवश्य कृष्ण और राधा के सच्चे प्यार का महत्व बताता है.
होली के मौसम में हर दिशा में फूलो के रंग बिखर जाने से प्रकृति कि सुंदरता देखते ही बनती है. इसी भाव को लेकर कुछ कहना चाहूंगी .............
निखरी प्रकृति का देखो हुआ धरा पर राज
मन ये मेरा बावरा फिर हुआ महक से आज
खिली खिली सी रंगत के संग महकी क्यारी क्यारी
स्वपन लोक सी छटा यहाँ बिखरी देखी न्यारी
रंग बिरंगे फूल खिले है छाई है हरियाली
मुंह से लगा रहे एक रस से भरी प्याली
आनन्दित तन चहका सा मन झूम रहा है ऐसे
मीठा एक हवा का झोंका चूम रहा है जैसे
इतना प्यारा दृश्य जो सारा आँखों में बस जाए
मध्यम -2 मन से खुशबू महकी -2 आये
सपना एक सुहाना अपने मन में आज बसाऊ
रंग बिरंगे पंख लगा कर फूलो को छू आऊ
आप सभी पाठकों को मेरी तरफ से होली कि हार्दिक शुभकामनाये
Monday, October 4, 2010
माँ-बाप
. .११.२९ पम , ४/१०/१०
Monday, September 27, 2010
एक सच
Monday, September 13, 2010
गणेश उत्सव कि सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.
आज कल गणेश उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है.गणेश उत्सव महाराष्ट्र में विशेष तौर पर मनाया जाता है.पर यह हिंदू धर्म को मानने वाले लोग हर जगह पर मनाते है. गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है. गणेश जी का स्थान हिंदू समाज में किसी भी शुभकार्य हेतु प्रथम पूज्य है. गणेश जी का शरीर हाथी और आदमी दोनों को मिला कर माना जाता है.गणेश जी कि संपूर्ण संरचना हैमें बहुत कुछ बताती है या कहे सीख देती है. आइये हम क्या क्या सीख सकते है किस भाग से यह जाने.
बड़ा सिर :- बड़ा सोचना सिखाता है.
कान :- गणेश जी के बड़े-बड़े कान हमें जयादा सुनने कि सीख देते है.
छोटी आंखे:- गणेश जी छोटी आँखे अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना सिखाती है.
गणेश जी के हाथ का फरसा या कुल्हाड़ी :- सभी प्रकार एक मोह बंधन को काटने कि हमें सीख देती है.
दूसरे हाथ का फूल :- लक्ष्य के नजदीक रखने कि प्रेरणा देता है .
छोटा मुंह :- कम बोलने कि प्रेरणा देता है .
एक दन्त :- अच्छाई को नजदीक और बुराई को दूर करने कि सीख देता है .
दुआयें :- अपनी शक्ति से मार्ग के संकटो को दूर रखने का महत्व बताती है.
सूड :- उच्च झमता एवं ग्रहण करने कि झमता
बड़ा पेट :- आराम से कोई भी अच्छी या बुरी चीज़ जिंदगी में पचाने कि सीख देता है .
लड्डू या मोदक :- साधना का फल
चूहा :- अपनी चाहतों पर अंकुश लगाने कि सीख देताहै..ये सिखाता है कि चाहतो को अपने अधीन रखना चाहिए ना कि उनके अधीन रहना चाहिए इंसान को.
प्रसाद :- पूरा संसार आपके द्वार
इस प्रकार गणेश जी का हर अंग हमें बहुत कुछ सिखाता है..और बेहतर जिंदगी जीने के काबिल बनाता है.
इस साल गणेश उत्सव ११ सितम्बर से २२ सितम्बर तक मनाया जायेगा..
गणेश जी आप सभी के सब दुखो को दूर करे.
गणेश उत्सव कि सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.
Monday, September 6, 2010
हर बच्ची अमूल्य है
Monday, August 30, 2010
janmastami ki hardik shubhkamnaye
Monday, August 23, 2010
राखी ..बंधन है प्यार का, विश्वास का..
Sunday, July 25, 2010
सुसाइड /आत्महत्या
Friday, July 9, 2010
औरत..अस्तित्व का प्रश्न
सुबह सुबह अखबार पढ़ने के लिए आज जब बैठी, पन्ना दर पन्ना एक निगाह डालते हुए अंदर के पन्ने तक पहुंची. अचानक एक खबर पर जा कर निगाह मेरी अटक गयी , जो की लिंग परिवर्तन से सम्बंधित थी. ऐसा नहीं था की आज से पहले लिंग परिवर्तन की कोई घटना पेपर मे न पढ़ी हो, मगर इस बार जो कारण पेपर में मैंने पढ़ा वो मेरे लिए बहुत चौकाने वाला था.खबर कुछ इस प्रकार थी कि –“ घर वालों के दवाब में आकर शादी न करनी पड़े, इसलिए एक महिला ने अपना लिंग परिवर्तित करा लिया.उस महिला के अनुसार इस पुरुष प्रधान देश में कोई भी महिला अपनी मर्ज़ी से बिना शादी किये नहीं रह सकती है. अगर वो शादी न भी करना चाहे तो उसे घर वालों के दवाब में आकर सिर्फ इसलिए शादी करनी पड़ती है क्यों कि घर वालों को समाज का डर सताता रहता है, कि उनकी बहन या बेटी अगर शादी नहीं करेगी तो समाज क्या कहेगा या समाज में तरह तरह कि बातें न फैले. इसलिए वो लड़की के मर्ज़ी के बगैर जबरदस्ती समाज के दर से उसकी शादी करा देते है. अतः उसने परिजनों को बिना सूचित किये अपनी मर्ज़ी के मुताबिक जिंदगी जीने के लिए अपना लिंग परिवर्तित कराया ताकि वो बिना किसी पुरुष के सहारे आराम से अपनी जिंदगी जी सके.”
इस घटना से मैं ये सोचने पर मजबूर हो गयी की ये घटना समाज का मार्गदर्शन कर दिशा मे समाज को लेकर जायेगी? कहीं इस प्रकार की इक्छा रखने वाली लड़किया इस घटना से प्रेरित हो अपना लिंग परिवर्तन करा खुद को इस पुरुष प्रधान समाज का हिस्सा न बना ले. मैं इस घटना की समर्थक तो नहीं मगर इस घटना को लेकर संजीदा जरुर हूँ. उस लड़की की क्या मनोदशा रही होगी –जिसने घर वालों के दवाब में आकर शादी न करनी पडे सिर्फ इसलिए अपनी पहचान ही बदलवाना उचित समझा. उसकी मनोदशा को मे समझने का एक छोटा सा प्रयास मैं कर ही रही थी की शाम होते होते एक और आम सी हो चुकी मगर महत्वपूर्ण घटना ने मुझे फिर सोचने पर मजबूर कर दिया .
हुआ ऐसा की शाम को मेरी एक परिचित से मेरी मुलाकात हुई , बोली दीदी मे कल छुट्टी पर रहूंगी.
मैंने कारण जानना चाहा पूछा : क्या हुआ ?
अपने पेट की (प्रेग्नेंट थी वो ) तरफ इशारा कर बोली :- इस चक्कर में
मैंने कहा :- सब ठीक तो है ??
वो बोली :- जरा चेक करना है
मैं बोलो :- वो तो आप यहाँ भी करा सकती हो ..
तो उसने कहा :- हां , यहाँ करा तो सकती हूँ, मगर मुझे कुछ और चेक करना है
मैंने फिर कहा :- लड़का है या लड़की ये पता करना है क्या??
उसने हाँ में सिर हिला दिया .
मैं एक दम अचंभित हो गयी .
मैंने उससे कहा:- क्या जरुरत है ऐसा कराने की ? और ऐसे भी ऐसा करना अपराध है.
तो वह बोली :- एक लड़की तो है ही मेरी और मेरी पड़ोसन ने उस जगह टेस्ट कराया था. लड़की थी.
मैं बोली:- थी मतलब अब नहीं है ?
वह बोली :- नहीं अब नहीं है.
मैंने फिर उसे समझाने के मकसद से कहा :- अगर एक औरत ही लड़कियों को जनम नहीं लेने देगी तो किसी और को या पुरुषों को क्या दोष देना.
इन दोनो ही घटनाओ से इस ओर इशारा होता है की हमारे समाज में औरतों की दशा किस कदर बदतर है. औरत ही जब सिर्फ पुरुष के वर्चस्व को मान दे रही है तो फिर उसी इस दशा के लिए हम किसी और पर दोषारोपण कैसे कर सकते है. सरकार या गैर सरकारी संगठन कितना भी कन्या भ्रूण हत्या को रोकने का प्रयास कर लें , मगर चोरी छिपे ये घृणित कार्य आज भी समाज में हो रहा है और इसे करने वाली और करने वाली दोनो ही महिलाये है. जब तक एक-एक औरत अपना महत्व नहीं समझेगी तब तक कोई पुरुष भला उसे क्या महत्व देगा.
मैंने उस महिला को अपने स्तर से समझाया , मगर उसकी समझ में क्या और कितना आया ये तो वह ही जाने. मगर इन दोनो ही घटनाओ ने मुझे अवश्य दुखी कर दिया; की जहाँ एक ओर लड़किया अपने ही अस्तित्व को बरक़रार रखने के लिए खुद को एक अहम मुकाम तक लाना चाह रही है वहाँ महिलाये ही अपने अस्तित्व के साथ खिलवाड भी कर रही है.
Saturday, June 12, 2010
बारिश की फुहारे
रिमझिम मेघा पानी ला
प्यासी धारा है प्यास बुझा
महीनो से तपती हुई धरती को जैसे प्यास बुझाने का अवसर मिला इस बारिश से . मौसम की इस बारिशकी फुहार ने जनजीवन को बहुत राहत दी है .
गोरी को तो जैसे सावन ने पिया मिलन की छूट दे दी हो , तभी तो उसका मन मयूर गा उठा है ...
रिमझिम रिमझिम रिमझिम रिमझिम
पड़े फुहारे जब रिमझिम रिमझिम,
ऐसी बरखा बरसाए ये सावन
भीगे भीगे हों मेरे तन मन,
ठंडी फुहारे जब हमें भिगाए
मन भर के साजन तेरे संग,
मन का मयूरा पि पि बोले
मेरा प्यासा सा मन डोले
रिमझिम बारिश मे ओ साजन
आ संग भीगे हम तुम.
बारिश की फुहारे हर छोटे बड़े के मन को प्रफुल्लित कर जाती है. गर्मी जब अपनी चरम सीमा पर हो तोबारिश का होना एक बहुत सुखद अनुभूति दे जाता है .
बच्चो को गर्मी से बचने के लिए माँ बाप बहार नहीं जाने देते है ..तब ये बारिश उनके खेलने का बहानालेकर आती है और बाल मन को बहुत भाती है.
बस बारिश खुशियो का बहाना सी लगने लगती है तब..जब हर मन को ये खुश कर जाती है .बस ये बदलऐसे ही पानी भर कर लाये और इस प्यासी धरा और पशु पक्षियों की प्यास बुझाए .