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Thursday, June 30, 2011

सुशिक्षित समाज

मेरे प्रिय दोस्तों
आज एक लंबे अंतराल के बाद में आप सभी के समक्ष एक अपना लेख लेकर हाज़िर हूँ. आज कल पढाई से जुडी हू तो उसी को लेकर कुछ लिखा है मैंने..शायद आप लोगों को अच्छा  लगे...आपकी राय से जरुर वाकिफ करना मुझे

आभार
सखी सिंह

      सुशिक्षित समाज 


शिक्षा का व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्व है. व्यक्ति समाज का आवश्यक घटक है अतः ऐसे में समाज के लिए भी शिक्षा का महत्वपूर्ण होना स्वाभाविक है.सभ्य समाज की अवधारणा, विकास तथा निरंतरता बिना शिक्षा के संभव प्रतीत नहीं होती तथा ज्ञान प्राप्त करने का समुचित साधन शिक्षा है. किन्तु यह भी सत्य है कि शिक्षा ही ज्ञान प्राप्ति का एक मात्र साधन नहीं है. फिर भी शिक्षा प्राप्त करने पर ज्ञान प्राप्त करने के अनेक रास्ते खुद बा खुद खुल जाते है.ऐसे भी साक्षरता दर के शत-प्रतिशत लक्ष्य को विश्व समुदाय अभी तक प्राप्त नहीं कर सका है.इसके लिए वैश्विक संस्थाए यूनेस्को, यूनिसेफ इत्यादि लगातार प्रयास कर रही हैं . इन प्रयासों के कारण ही तीसरी दुनियां के देशों में साक्षरता कि दर में काफी सुधार देखा जा रहा है.लेकिन दुर्भाग्यवश दुनियां के बहुत से लोग अभी भी शिक्षा से वंचित हैं, विशेषकर तीसरी दुनियां की आबादी का लगभग आधा भाग आज भी अशिक्षित है .अब जब आधे लोग साक्षर ही नही होंगे तो ऐसी दशा में समाज में उत्पन्न होने वाली समस्याओं की संख्या स्वाभाविक रूप से अधिक होगी एवं इन समस्याओं का निराकरण भी अपने आप में कठिन होगा. अतः इन समस्याओं के निराकरण हेतु समाज का सुशिक्षित होना अति आवश्यक है. इसलिए शिक्षा का प्रसार आज की प्रमुख आवश्यकता है.इस आवश्यकता की पूर्ती के लिए समाज आज पहले से अधिक जागरूक हो रहा है, हर व्यक्ति सतर्क हो रहा है एवं देश-प्रदेश की सरकारे भी इस दिशा में सकारात्मक प्रयास कर रही हैं. फलस्वरूप देश में साक्षर लोगों की   प्रतिशतता में पिछले एक दशक में आशातीत वृद्धि हुई है. सुशिक्षित समाज के लिए शिक्षा के उद्देश्य निम्न हैं –
११.      सहयोग तथा सदभावना का विकास करना
२२.      शारीरिक व मानसिक विकास करना
३३.     नैतिक एवं चारित्रिक विकास करना
४४. सांस्कृतिक समझ पैदा करना
५५. नागरिकता के गुणों का विकास करना
 ६. स्वस्थ्य एवं संतुलित जीवन व्यतीत करने का ज्ञान प्राप्त करना   इत्यादि .
एक सुशिक्षित समाज के निर्माण हेतु ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ ‘ मौलिक अधिकारों की सूची  में शामिल हो गया है ताकि देश का प्रत्येक बच्चा ६ से १४ आयु वर्ग का, अनिवार्य रूप से निशुल्क प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त कर सके. अब सरकार माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा निशुल्क करने का प्रयास करने में लगी हुई है जिससे सभी बच्चे शिक्षित हो और आगे चलकर एक सभ्य, सुशिक्षित समाज का निर्माण करने में अपना सहयोग प्रदान कर सके .