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Sunday, October 5, 2025

संध्या शांताराम: "उनके कालजयी नृत्य और अभिव्यक्तियों ने भारतीय सिनेमा को समृद्ध किया।"

 




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संध्या शांताराम: "उनके कालजयी नृत्य और अभिव्यक्तियों ने भारतीय सिनेमा को समृद्ध किया।"

चल जा रे हट नटखट , गीत पर नृत्य करती अभिनेत्री से कौन नहीं परिचित होगा, ये गीत भारतीय सिनेमा में एक विशेष आकर्षण है। इस गीत पर औरत और आदमी की भूमिका निभाती, नृत्य कर रही अभिनेत्री का नाम है संध्या शांताराम । संध्या जी की अनोखी भाव भंगिमा इस नृत्य की जान है। 4 अक्टूबर 2025 यानि की कल, मुंबई में 87 वर्ष की आयु में संध्या जी का निधन हो गया।

भारतीय सिनेमा जगत ने कल एक युग का अंत देखा है। दिग्गज अभिनेत्री और नृत्यांगना संध्या शांताराम (जन्म नाम: विजया देशमुख) का 4 अक्टूबर 2025 को मुंबई में निधन हो गया। 13 सितंबर 1938 को जन्मी संध्या जी ने 1950 और 1960 के दशक में हिंदी और मराठी सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

प्रारंभिक जीवन और सिनेमा में प्रवेश-

विजया देशमुख के रूप में जन्मी संध्या ने महान फिल्मकार वी. शांताराम के साथ काम करते हुए अपने करियर की शुरुआत की। बाद में उन्होंने वी. शांताराम से विवाह किया और संध्या शांताराम के नाम से प्रसिद्ध हुईं। यह पेशेवर और व्यक्तिगत साझेदारी भारतीय सिनेमा इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गई।

महान फिल्मकार वी. शांताराम (शांताराम राजाराम वानकुड्रे) का जन्म 1901 में कोल्हापुर, महाराष्ट्र में हुआ था। वे एक पूर्ण फिल्मकार थे - एक कुशल अभिनेता, नवीन संपादक, दूरदर्शी निर्देशक और निर्माता। उन्होंने 1920 में महाराष्ट्र फिल्म कंपनी में छोटे-मोटे काम करके अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की और सुरेखा हरण (1921) में भगवान विष्णु की भूमिका निभाकर चर्चा में आए। 1929 में उन्होंने कोल्हापुर में प्रभात फिल्म कंपनी की स्थापना की और बाद में 1933 में इसे पुणे स्थानांतरित किया। जो आज फिल्म और टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के नाम से प्रसिद्द संस्थान है ।
वी. शांताराम जी के बारे में विस्तृत चर्चा फिर कभी करुँगी हैं।


यादगार फिल्में और प्रदर्शन-

संध्या जी की फिल्मी यात्रा कई क्लासिक फिल्मों से सुशोभित है:

झनक झनक पायल बाजे (1955)
यह संगीतमय फिल्म उनके करियर की शुरुआती सफलताओं में से एक थी, जिसमें उनकी नृत्य प्रतिभा का जबरदस्त प्रदर्शन हुआ।

दो आंखें बारह हाथ (1957)
वी. शांताराम की इस अविस्मरणीय फिल्म में उनकी भूमिका आज भी याद की जाती है। यह फिल्म भारतीय सिनेमा की एक मील का पत्थर मानी जाती है।

नवरंग (1959)
इस फिल्म में संध्या जी ने विशेष ख्याति प्राप्त की। "अरे जा रे हट नटखट" गाने पर उनका नृत्य आज भी याद किया जाता है। इस भूमिका के लिए उन्होंने विशेष रूप से शास्त्रीय नृत्य सीखा और फिल्म की शूटिंग के दौरान असली हाथियों और घोड़ों के साथ निडरता से काम किया।

पिंजरा (1972)
यह मराठी फिल्म संध्या जी के करियर की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है। मराठी सिनेमा में उनका यह प्रदर्शन अविस्मरणीय माना जाता है।

अन्य उल्लेखनीय फिल्में
जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली
अमर भूपाली

कला और प्रतिभा-

संध्या शांताराम केवल एक अभिनेत्री नहीं थीं, बल्कि एक प्रतिभाशाली नृत्यांगना भी थीं। उनकी सुंदर नृत्य शैली, भावपूर्ण अभिनय और कैमरे के सामने उनका आत्मविश्वास उन्हें उस दौर की विशिष्ट अभिनेत्रियों में से एक बनाता था। वे अपनी भूमिकाओं में लालित्य, साहस और बेजोड़ कलात्मकता का संयोजन करती थीं।
उनकी विशेषता यह थी कि वे खतरनाक दृश्यों को भी बिना किसी डर के निभाती थीं। नवरंग की शूटिंग के दौरान असली हाथियों और घोड़ों के साथ काम करना उनके समर्पण और साहस का उदाहरण है।

सिनेमा जगत को योगदान-

संध्या जी ने हिंदी और मराठी दोनों सिनेमा को समृद्ध किया। उन्होंने वी. शांताराम की कई महत्वपूर्ण फिल्मों में मुख्य भूमिकाएं निभाईं और भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग का हिस्सा बनीं। उनका काम भारतीय फिल्म इतिहास का एक अभिन्न अंग है।

अंतिम संस्कार-
संध्या शांताराम का अंतिम संस्कार 4 अक्टूबर 2025 को मुंबई के शिवाजी पार्क श्मशान में किया गया। फिल्म जगत और प्रशंसकों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

विरासत-
संध्या शांताराम ने भारतीय सिनेमा को एक समृद्ध विरासत दी है। उनकी फिल्में, उनका नृत्य और उनका अभिनय आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। वे उस युग की प्रतिनिधि थीं जब सिनेमा में कला, संस्कृति और सौंदर्य का सुंदर मेल होता था।
भारतीय सिनेमा के इतिहास में संध्या शांताराम का नाम हमेशा स्वर्णाक्षरों में लिखा रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
 

लेखिका - डॉ ज्ञानेश्वरी सिंह ,

 पुणे , महाराष्ट्र


Monday, September 14, 2015

हिंदी माथे की बिंदी



आज हम हिंदी दिवस मना रहे है और इस समारोह में हर जगह हिंदी के उत्थान की बात कर रहे है | पर क्या मात्र एक दिवस मना कर हिंदी के प्रति हम अपने कर्तव्य को सम्पूर्ण मान लेते है? जबकि अधिकांश लोग आज कल हिंदी को सार्वजानिक तौर पर इसलिए नहीं बोलते क्यों की उन्हें लगता है अंग्रेजी में बात करके वो खुद को ज्यादा सभ्य दर्शा सकते है | नहीं ऐसा कदापि नहीं होना चाहिए , हिंदी भारत की आत्मा में रची बसी है यह भारतीयता की पहचान है | आज हमारी अपनी भाषा हिंदी अपने ही देश में फिर से अपनी पहचान बनाने को जूझ रही है|

हिन्दी भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ उत्तर एवं मध्य भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में ६० करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की अधिकतर और नेपाल की कुछ जनता हिन्दी बोलती है।

हिन्दी राष्ट्रभाषा, राजभाषा, सम्पर्क भाषा, जनभाषा बन कर विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। किन्तु दुर्भाग्य हिंदी का एक मात्र यही है अपने ही घर में इसका तिरस्कार हो रहा है,| हिंदी का अपने ही लोगो द्वारा हो रहा तिरस्कार हिंदी को पतन की ओर ले जा रहा है |

हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और शब्दावली के स्तर पर अधिकांशत: संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करती है। प्राचीन काल में भारत में संस्कृत, प्राकृत, पालि, अपभ्रंश आदि भाषाओं का राजभाषा के रूप में प्रयोग होता था। राजपूत काल में तत्कालीन भाषा हिन्दी का प्रयोग राजकाज में किया जाता था। किंतु भारतवर्ष में मुसलमानों का आधिपत्य स्थापित हो जाने के बाद धीरे-धीरे हिन्दी का स्थान फ़ारसी और अरबी भाषाओं ने ले किया। इस बीच में भी राजपूत नरेशों के राज्य क्षेत्र में हिन्दी का प्रयोग बराबर प्रचलित रहा। मराठों के राजकाज में भी हिन्दी का प्रयोग किया जाता था। आज भी इन राजाओं के दरबारों से हिन्दी अथवा हिन्दी-फारसी, द्विभाषिक रूप में जारी किए गए फरमान बड़ी संख्या में उपलब्ध है। यह इस बात का द्योतक है कि हिन्दी राजकाज करने के लिए सदैव सक्षम रही है। किंतु केंद्रीय शक्ति मुसलमान शासकों के हाथ में चली गयी तो हिंदी को यह अवसर प्राप्त नहीं हो पाया कि सभी क्षेत्रों में उसकी क्षमता एवं सामर्थ्य का पूर्ण विकास हो पाता।




हिंदी का महत्त्व


1. हिंदी भाषा भारतीयता का एक प्रतीक है|

2. हिंदी को भारत के संविधान के द्वारा मुख्य भाषा होने का गौरव प्राप्त है|

3. हिन्दी भारत में करोड़ों लोगों को रोजगार प्रदान करती है|

4. हिंदी भारत में अनमोल संपर्क भाषा के रूप में कार्य करती है|

5. हिंदी का क्षेत्र अन्य किसी भी भारतीय भाषा की तुलना में अधिक व्यापक है|
6. दुनिया में चायनीज़ और अंग्रेजी के बाद हिंदी बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है|
7. हिन्दी भारत के प्रमुख राज्यों में बोली और समझी जाती है|

8. हिंदी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण हथियार था|
9. हिंदी विविधता में एकता का प्रतीक है|

10. हिंदी राष्ट्रीय चेतना की वाहक रही है|

11. हिंदी भारत देश की आत्मा में बसती है|
12. हिंदी भारत की अखंडता की प्रमाण है|
13. हिन्दी ने देश की सभ्यता, संस्कृति और विरासत में प्रमुख भूमिका निभाई है|
14. सभी भारतीय भाषाओं में हिंदी प्रमुख है|

15. हिंदी से हिन्द है , हिंदी से हिन्दू है |





संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है, हिंदी को वैज्ञानिक भाषा होने का दर्ज़ा प्राप्त है | यह सरल और लचीले स्वाभाव की भाषा है किसी अन्य भाषा के शब्दों को यह आसानी से आत्मसात कर लेती है | इतनी खूबियाँ होते हुए भी हमारी अपनी मातृभाषा हिंदी , जन जन की भाषा हिंदी अपनी पुनर्स्थापना हेतु संघर्ष कर रही है | आओ हम सभी जन मिल कर भारतीयता की पहचान हिंदी को अपनाए और इसे विश्व में सही स्थान दिलाये , यह देश प्रेम की भाषा है जो समस्त देश को जोडती है इसे और मजबूती के साथ समाज के सभी स्तरों तक प्रचारित प्रसारित करे, तभी हिंदी दिवस का मनाया जाना सार्थक होगा|

Thursday, September 10, 2015

विश्व हिंदी सम्मलेन १० सितम्बर १५ से १२ सितम्बर १५


आज ही भारत में विश्व हिंदी सम्मलेन का उद्घाटन भोपाल में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया| ३ दिन चलने वाले  इस सम्मलेन में बहुत से लोग अधिकारिक रूप में शामिल हो रहे है , बहुत से लोग पंजीकरण करा के इसमें भाग ले रहे हैं , देश विदेश से काफी संख्या में लोग इसमें सम्मिलित हो रहे है , और एक वर्ग ऐसा है जो इस सम्मलेन में शामिल नहीं हो पाने के कारन अन्दर ही अन्दर घुटन , पीड़ा महसूस कर रहा है | ये वो वर्ग है जो हिंदी लेखन द्वारा हिंदी के प्रचार प्रसार में सहयोग में लगा हुआ है और आज इसका दर्द येही है की जब हिंदी की बात बड़े रूप में हो रही है तब इस वर्ग को अलग थलग रखा गया है , ऐसा क्यों?
हिंदी के प्रचार प्रसार में आज इंटरनेट एक बड़ा माध्यम बना है जिसकी सहायता से हिंदी भाषा के ल्लिये कम कर रहे है लोग एक दुसरे से जुड़े , और हिंदी में लेखन करने वाले लोग एक दुसरे से जुड़े | लेकिन इन सभी को दरकिनार कर इनके योगदान को नकारा गया है या व्यर्थ मान लिया गया है, ये प्रश्न आज हिंदी में ब्लॉग , या अन्य लेखन कार्य कर रहे लोगो में एक घुटन या पीड़ा पैदा हुई है , जो किसी भी प्रकार से सही नहीं है| इस और इस सम्मलेन को करा रहे लोगो का ध्यान अवश्य जाना चाहिए जिससे अधिकाधिक  लोग हिंदी को सम्मान  की दृष्टि से देखे|


Monday, July 27, 2015

गुरदासपुर आतंकवादी मुठभेड़ (27/7/15)

आतंक फैलाना इनका काम और उसके बाद मुकद्दमा चलाना भारत सरकार का काम और फैसला सुनाना कोर्ट का काम ...उसके खिलाफ आवाज़ उठाना कुछ अपने ही तथाकथित मशहूर लोगो का काम ,
अब देखो ..याकूब मेमन को फांसी सुनाई गयी तो बड़े बड़े नाम आ गए उसके बचाव पक्ष में ...ये महान हस्तियाँ है
01- वृंदा_करात
02- प्रकाश_करात
03- शत्रुघ्न_सिन्हा
04- राम_जेठमलानी
05- महेश_भट्ट
06- शाहरुख_खान
07- अमिर_खान
08- सैफ_खान
09- नसीरुद्दीन_शाह
10- सलमान_खान
11- अरविंद_केजरीवाल
12- तिस्ता_सितलवाड
13- दिग्विजय_सिंग
14- लालू_यादव
15- नितीश_कुमार
16- अबु_आजमी
17- प्रशांत_भुषण
18- अससुद्दीन_ओवैसी
19- अखिलेश_यादव
20- आजम_खान
21- सचीन_पायलट
22- राहुल_राय
23- जनरैल_सिंहद
24- अलका_लांबा
25- आशुतोष
26- सागरिका_घोष
27- करिना_खान
28- सानिया_मिर्जा
29- अकबरूद्दिन_ओवैसी
30- शाजीया_इल्मी
31- अहमद_बुखारी
32- अभय_दुबे
33- रविश_कुमार
34- पुण्य_प्रसुन_बाजपेयी
35- ममता_बॅनर्जी
36- सिद्धारमैया
37-आशीष_खेतान
38- अग्निवेश
39- संजय सिंह
40- शकील_अहम
पर आज फिर पंजाब में गुरदासपुर में आतंकवाद का खेल खेला गया ..और हमारे सुरक्षाबल कर्मी भी शहीद हुए ..कई लोग भी मारे गए | अब कोई ये नहीं सोचता इन घटनाओं में जो निर्दोष मारे जाते है उनके घर वालों का क्या हाल होता होगा . जो सुरक्षा कर्मी इन आतंकवादियो के खिलाफ मुठभेड़ में शहीद हुए उनके घर वालो पे क्या बीत रही होगी . इस आतंकी हमले में एसपी (डिटेक्टिव) बलजीत सिंह भी शहीद हो गए।आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान उनके सिर में गोली लगी थी। वह ऑपरेशन की अगुवाई कर रहे थे। अब ये मुठभेड़ ख़तम हो चुकी है और लगभग १० या १२ लोग मारे गए है |
अब इनके खिलाफ कोई नहीं बोल रहा की क्यों ये आतंकवादी घटनाये ये लोग अंजाम देते है ..पहले तो पकडे ही नहीं जाते और आगरा पकडे गए तो अक्सर बीसियों साल इनपर सरकारी खजाने खाली किये जाते है फिर ये किसी बहाने से या राजनितिक घटनाक्रम में छोड़ दिए जाते है या बच जाते है | अच्छा हुआ इस घटना में ४ आतंकवादी मारे गए और यही उनको उनके किये की सजा साथ की साथ भगवन ने दे दी. वरना फिर येही घटना क्रम शुरू होता ..पेशी , सुनवाई ,सजा फिर माफ़ी के लिए गुहार |
जो भी आतंकवादी हाथ लगे उसे साथ के साथ सजा देकर छुट्टी कर देनी चाहिए | और अब इन ४० लोगो से पूछना चाहिए की अब बोलो याकूब के साथ क्या बर्ताब किया जाये?
आज के घटनाक्रम में शहीद हुए सुरक्षा कर्मियों को मेरी भरी हृदय से भावभीनी श्रृद्धांजलि , नमन उन वीरों को

tannnu (sakhi )singh ..... 5.09 pm...27/7/15

Injured SP of Gurdaspur Baljinder Singh Images Photo of Terror Attack 

Wednesday, July 15, 2015

आई पी एल और प्रतिबन्ध

क्रिकेट ..एक ऐसा खेल जिसके लिए भारत में जितना जूनून लोगों में देखा जाता है, शायद ही किसी अन्य खेल के लिए भारत के लोगों में वो जूनून देखने को मिलता है | पर दिन प्रतिदिन ये क्या होता जा रहा है? इस खेल पर आये दिन जो तरह तरह के दाग धब्बे लग रहे है , उनसे इस खेल के प्रति लोगो का ये प्रेम कहीं धीमे धीमे ख़तम ही न हो जाये |

आई पी एल के जरिये क्रिकेट की दुनिया में जो एक नयी खेल नीति बनी वो लोगों को बहुत पसंद आई | क्रिकेट के फटाफट प्रारूप यानी टवेंटी टवेंटी पर आधारित प्रतियोगिता इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League) या आईपीएल (IPL) की शुरुआत 2008 में हुई और अपनी वाणिज्यिक सफलता व लोकप्रियता के बलबूते पर य​ह दुनिया का प्रमुख क्रिकेट आयोजन बन गया. अब तक आठ आईपीएल हो चुकी हैं.  2015 में इसका आठवां संस्करण खेला गया जिसमें मुंबई इंडियंस विजेता रही. इसका आयोजन भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड या बीसीसीआई करता है. यह आयोजन आमतौर पर भारत के विभिन्‍न शहरों में अप्रैल से मई के बीच होता है. इसमें भाग लेने वाली टीमों में भारतीय व विदेशी खिलाड़ी शामिल होते हैं. भारतीय टीम में मौका नहीं पाने वाले घरेलू खिलाडियों को भी इसमें मौका मिलता है| आईपीएल और विवाद का चोली दामन का साथ है | मैच फिक्सिंग, स्पाट फिक्सिंग, आपसी खींचातानी , सटोरियों का दखल, खिलाड़ियों पर जोर जबरदस्ती के आरोप.. अनेक कारणों से आईपीएल का हर सत्र चर्चा में बना रहता है. आईपीएल के इस पूरे ड्रामे में दो नयी फ्रेंचाइजी का बनना व खत्म होना, सुनंदा पुष्कर की मौत, ललित मोदी की​ विदाई, स्पाट फिक्सिंग में अनेक नामी खिलाड़ियों का शामिल होना शामिल है. एक बार तो इसके बंद होने तक के कयास लगाए जाने लगे लेकिन कहते हैं कि इसमें ​इतने लोगों को कारोबारी, व्यक्तिगत हित जुड़े हैं कि कोई नहीं चाहता कि यह बंद हो. क्रिकेट के चेहरे पर एक सुनहरा रंग आई पी एल के माध्यम से चढ़ा और लोगों को ये रंग बहुत भाया| पर इस सुनहरी चमक को कुछ लोगो ने चुराने के लिए जो कृत्य किये वो निंदनीय है | चेन्नई सुपरकिंग्स, दिल्ली डेयरडेविल्स, किंग्स इलेवन पंजाब, कोलकाता नाइटराइडर्स, मुंबई इंडियंस, राजस्थान रायल्स, रायल चैंलेंजर्स बेंगलूर व डेक्कन चार्जर्स आई पी एल में भाग लेने वाली टीमे हैं | मंगलवार को आईपीएल सट्टेबाजी में लोढ़ा समिति ने राज कुंद्रा और मयपप्न पर आजीवन प्रतिबन्ध लगा दिया |

 आईपीएल 2013 के दौरान स्पॉट फिक्सिंग में आईपीएल की दो बार की चैंपियन चेन्नई सुपरकिंग्स और सबसे पहले आईपीएल की विजेता रही राजस्थान रॉयल्स इन दोनो टीमों को सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित लोढ़ा समिति ने तगड़ा झटका दिया है। कमिटी का फैसला सुनाते हुए पूर्व चीफ जस्टिस आर. एम. लोढ़ा ने कहा कि चेन्नई सुपरकिंग्स के टीम प्रिंसिपल मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स चलाने वाले जयपुर आईपीएल के सह मालिक राज कुंद्रा की वजह से क्रिकेट की काफी बदनामी हुई है। इसलिए इनके साथ नरमी नहीं बरती जा सकती।यह कदम  आईपीएल की सुनहरी चमक को बरकरार रखने के लिए  फिक्सिंग को मिटाने की दिशा में पहला कदम उठाया गया है। एमएस धोनी की टीम चेन्नई  सुपरकिंग्स के साथ अजिंक्य रहाणे की टीम राजस्थान रॉयल्स को आईपीएल से दो साल के लिए प्रतीबन्ध कर दिया गया है। इन दोनो टीमों के अधिकारी गुरुनाथ मयप्पन और राज कुंद्रा को बीसीसीआई की क्रिकेट संबंधी गतिविधियों में शामिल होने से हमेशा के लिए बैन कर दिया है। राज कुंद्रा के बारे में जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि उन्होंने बीसीसीआई के नियमों को तोड़ा और सट्टेबाजी की। भारत में सट्टेबाजी एक अपराध है। कुंद्रा और मयप्पन को सट्टेबाजी का दोषी करार देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में लोढ़ा की अध्यक्षता में कमिटी बनाई थी। और इनकी सजा तय करने को कहा था। मयप्पन एन. श्रीनिवासन के दामाद हैं। जो चेन्नई सुपरकिंग्स का मालिक कंपनी इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड के एमडी हैं। इंडिया सीमेंट्स को आड़े हाथ लेते हुए कमिटी ने कहा कि मयप्पन को सट्टेबाजी का दोषी पाए जाने के बावजूद उसने कोई कार्रवाई नहीं की। मयप्पन टीम का चेहरा था और सट्टेबाजी करता था। टीम अधिकारी का नियम तोडऩा बेहद गंभीर अपराध है। मयप्प्न और राज कुंद्रा की कारगुजारियों से क्रिकेट, बीसीसीआई और आईपीएल की इस कदर बदनामी हुई कि लोगों में यह आशंका बन गई कि यह खेल साफ सुथरा है भी या नहीं।
लेकिन लोढ़ा समिति के इस कदम से उम्मीद की जा सकती है की आने वाले वक़्त में धीरे धीरे ही सही, पर वक़्त के साथ क्रिकेट की धूमिल होती छवि में सुधार करने के लिए कड़े कदम जरुर उठाये जायेंगे और आने वाले वक़्त में क्रिकेट को खेल की भावना के साथ साफ़ सुधरे तरीके से खेला जायेगा और लोगो का पसंदीदा खेल एक बार फिर लोगो के दिल में अपनी खास  जगह बनाएगा |

 सखी सिंह 

Tuesday, January 6, 2015

स्क्रबर

प्लेट और अन्य बर्तन काना फूसी कर रहे थे और स्क्रबर को देख कर हँस रहे थे (जिससे बर्तन पर सफाई की जाती है ).
स्क्रबर ने प्लेट और अन्य बर्तनों से कहा - की तुम सब मुझे देख कर क्यों हस रहे हो , सबने कहा - तुम कितने गंदे दिख रहे हो ?




तब स्क्रबर बोला- तुम्हें घिसता हूँ तो खुद को गन्दा करता हूँ पर मुझे तसल्ली इस बात की है की मैं मेरा काम इमानदारी से अच्छी तरह कर रहा हूँ और आप सबको नयी जैसी चमक दे रहा हूँ . 
उसकी बात सुन कर बर्तन झेंप गये ..सही बात तो ये थी वो जिस चमक पर इतरा कर हसे वो चमक स्क्रबर से ही मिली थी उन्हें. 
सखी सिंह

Sunday, November 30, 2014

दिसम्बर2014 की दस्तक

दिसम्बर यानी साल का अंतिम माह समय की धार के साथ बहता इधर आ निकला ..तो इस साल २०१४ का अन्तिम माह भी दस्तक दे चुका है...सुबह का सूरज सुनहरी किरणों के साथ अपने रंग इस धरा पर बिखेर सब कुछ सुनहला कर देगा .
एक एक कर सारे महीने समय के द्वार से निकल गए और बस गए अतीत के सागर या खँडहर में जाकर छिप गए . समय की गर्त के बाहर कभी कभी निकलने का प्रयास होगा भी इनका तो कुछ पल को ही होगा ऐसा  . ये इतिहास के पन्ने भर चले माह , खट्टे मीठे रहे. सभी के साथ यही कहानी होगी ..कहीं अश्कों की बारिश कही मुस्कान सुहानी होगी . साल का ये अंतिम माह भी सबका अच्छा गुजरे ये दुआ है भगवान् से ..और नया साल सभी के लिए खुशिया लाये ये दिल की तमन्ना है . आमीन