ओ गंगा बहती हो क्यों ............................
इसके पहले जो पोस्ट किया वो भी दुःख भरी खबर थी और अज भी फिर से में भुपने दा के ना रहने कि खबर के साथ दुखी मन से ये पोस्ट कर रही हूँ. बहुत दुःख हो रह है कुछ दिन के अंतराल पर ही दो कालजयी आवाजो के मालिकों के ना रहने का .आवाजो के मध्यम से यूँ तो वो सदैव हमारे बीच जीवित है किन्तु दुःख इस बात का भी है कि उन आवाजो के अब कोई नयी रचना रचित होकर नहीं गूंजेगी.
भूपेन दा जहाँ भी हो भगवन उनकी आत्मा को शांति दें.
मुझे याद आ रहा है एक उनका अमर गीत.....
ना कहो कोई में अकेला हूँ ...में और मेरा साया दो है दोनों है
बस अभी इतना ही कह पा रही हूँ फिर आउंगी इन दोनो महान कलाकारों के बारे में कुछ बाते कहने .
आभार सखी