००.०७ ऍम.....२४/१/१२
आज का दिन ..अरे २४ जनवरी कि नहीं में २३ जनवरी कि बात कर रही हूँ.अर्थात नेता जी सुभाषचन्द्र बोसे का जन्मदिन . सुबह उठी और सोचा हम सबको शुभकामनाए देते है और जिनका जन्मदिन याद करना चाहिए उनको भूल जाते है .तो बस फसबूक पर शुभकामनाये और फोटो पोस्ट किया. फिर आज एक समारोह में शिरकत करनी थी ..पर कुछ तबियत नासाज़ थी और कुछ काम थे कई और जगह भी दूर थी, तो सोचा में नहीं जाउंगी उस समारोह में .मगर फिर जिनके यहाँ उस समारोह का आयोजन था उनका कॉल आया .कि इतनी बिजी मत बन सखी आ जा... कुछ देर के लिए ही सही....हम सब इंतज़ार कर रहे है ..ये... वो...फिर मैंने बनाया प्लान..कि सिस्टर काम देखेंगी और में इस काम को करुँगी .
सुबह ११ बजे घर से निकली और रात को ७.४५ पर घर आई और बस दौड़ती रही सारा दिन . दिन अच्छा था..सुकून था ...पर सबसे अहम था वो रास्ता देखा जिसपे शायद पहले कभी गयी थी तब वो इतना अच्छा न था. आज उसपे जाना सुखद अहसास था .
मन हुआ बस चलती रहू इस रास्ते पर.लेकिन पहले समारोह में पहुँचने कि जल्दी थी फिर इंस्टिट्यूट पहुँचने कि जल्दी. क्योकि २६ जनवरी के प्रोग्राम्स भी तेयार कराये जा रहे है वो तेरे देखनी थी.
आज जाना कि दौड़ भाग में भी कभी सुकून मिलता है वो कैसे मिलता है .
कुछ पाल आये जब लगा अरे आराम करना था मुझे आज, लेकिन फिर लगा चलो ठीक है इसी बहाने ये रास्ता देख लिया .
कूल मिला कर एक अच्छा दिन रहा आज का दिन..जो कुछ यादें कुछ बातें..कुछ जिंदगी कि फलसफे बता गया , हमें जीना सिखा गया.बंद लिफाफे में रखे खत सा दिन सारा जब गुजर गया ...दिल में बनके कुछ अहसास दिन ये पूरा उतर गया.
आज का दिन ..अरे २४ जनवरी कि नहीं में २३ जनवरी कि बात कर रही हूँ.अर्थात नेता जी सुभाषचन्द्र बोसे का जन्मदिन . सुबह उठी और सोचा हम सबको शुभकामनाए देते है और जिनका जन्मदिन याद करना चाहिए उनको भूल जाते है .तो बस फसबूक पर शुभकामनाये और फोटो पोस्ट किया. फिर आज एक समारोह में शिरकत करनी थी ..पर कुछ तबियत नासाज़ थी और कुछ काम थे कई और जगह भी दूर थी, तो सोचा में नहीं जाउंगी उस समारोह में .मगर फिर जिनके यहाँ उस समारोह का आयोजन था उनका कॉल आया .कि इतनी बिजी मत बन सखी आ जा... कुछ देर के लिए ही सही....हम सब इंतज़ार कर रहे है ..ये... वो...फिर मैंने बनाया प्लान..कि सिस्टर काम देखेंगी और में इस काम को करुँगी .
सुबह ११ बजे घर से निकली और रात को ७.४५ पर घर आई और बस दौड़ती रही सारा दिन . दिन अच्छा था..सुकून था ...पर सबसे अहम था वो रास्ता देखा जिसपे शायद पहले कभी गयी थी तब वो इतना अच्छा न था. आज उसपे जाना सुखद अहसास था .
मन हुआ बस चलती रहू इस रास्ते पर.लेकिन पहले समारोह में पहुँचने कि जल्दी थी फिर इंस्टिट्यूट पहुँचने कि जल्दी. क्योकि २६ जनवरी के प्रोग्राम्स भी तेयार कराये जा रहे है वो तेरे देखनी थी.
आज जाना कि दौड़ भाग में भी कभी सुकून मिलता है वो कैसे मिलता है .
कुछ पाल आये जब लगा अरे आराम करना था मुझे आज, लेकिन फिर लगा चलो ठीक है इसी बहाने ये रास्ता देख लिया .
कूल मिला कर एक अच्छा दिन रहा आज का दिन..जो कुछ यादें कुछ बातें..कुछ जिंदगी कि फलसफे बता गया , हमें जीना सिखा गया.बंद लिफाफे में रखे खत सा दिन सारा जब गुजर गया ...दिल में बनके कुछ अहसास दिन ये पूरा उतर गया.
2 comments:
:))))...
aaj ke din ke liye shubhkamnayen..
shukriya mukesh ji
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