ताज़ा प्रविष्ठिया :


विजेट आपके ब्लॉग पर

Saturday, September 15, 2012

शब्दों का बंधन



प्यार !
प्यार तब भी होता है, जब शब्दों  के सेतु बीच में नहीं होते, प्यार तब भी होता है जब शब्दों का बंधन एक सेतु बन जाता है; एक किनारा दूसरे किनारे से मिलने को इन शब्दों के पुल से इस पार से उस पार तक आता जाता है. पर बिना इस शब्दों के सेतु के, जो चीज़ एक महीन रेखाओं से निर्मित एक सेतु दो लोगों के दरमियान बनाती है, वो सबसे मजबूत बंधन होता है. जिसके दो किनारे हर वक्त जुड़े रहते है एक दूसरे से बिना किसी को नज़र आये, बिना एक दूसरे को छुए , बिना एक दूसरे के साथ बात करे, पर वो हरपल साथ है क्यों की वो महीन रेखाएं एहसासों की बनी होती है, जो एक दिल को दूसरे दिल से जोड़ती है. हर पल किसी को अपने पास सिर्फ अहसासों  के माध्यम से ही पाया जा सकता है . पर क्या ये अहसास आज दिलों में घर करते है ? शायद लोग अपनी अपनी दुनिया में इतना व्यस्त है, की किसी दूसरे के लिए अहसास दिल में पैदा हो पाना बहुत ही मुश्किल है. पर कभी अकेले में खुद से एक सवाल करना क्या आपको नहीं लगता की किसी  के दिल में आपके लिए अहसास हो ? फिर कोई आपसे भी तो ये उम्मीद कर सकता है ...तो क्यों न हम किसी को उसके लिए अपने होने का अहसास इन महीन रेखाओं से कराये.
अहसास के बिना जिंदगी कितनी सूनी है ये तभी पता लगेगा जब आपके दिल में किसी के लिए कोई न कोई अहसास होगा. और आपके लिए कोई दिल अहसास रखे ऐसी दुआ में करुँगी.
आपका दिन शुभ हो .

Thursday, September 13, 2012

हमारी मातृभाषा हिंदी

आज हिंदी दिवस है . क्या सिर्फ एक दिन धूम धाम से हिंदी दिवस मन लेने से हम अपनी मातृभाषा को सही स्थान या सम्मान दे देते है? क्या हमारी मातृभाषा आज हमारे ही दिलों  में  स्थान पाने को बेकरार नहीं है ?
हम सब आज अपनी इस भाषा के प्रति कितने ईमानदार है एक बार खुद से ये पूछे . क्या आप कहीं भी बेधडक  हिंदी बोलते हो? नहीं आज अधिकांश लोगों को हिंदी में किसी से बात करना शर्मनाक लगता है. वो अधिकतर अन्ग्रेजी का दामन पकडे हुए चलते है. क्या हमारी मातृभाषा इतनी गयी गुजरी है की हम किसी के सामने इसका प्रयोग अपने मन से न कर सके??..ऐसे कितने ही सवाल है बहुत से लोगो के मन में पर उत्तर शायद ही कोई खोजने की कोशिश  करता हो. सभी सरकारी संस्थाए १४ सितम्बर को हिंदी दिवस पर सेमिनार या कार्यशाला मन कर अपने अपने  फ़र्ज़ की इतिश्री समझ लेती है. और फिर रह जाती है अपने ही देश में अपने अस्तित्व को तलाशती हमारी अपनी हिंदी .

Wednesday, September 5, 2012

टीचर्स डे

आज टीचर्स डे है आप सभी को टीचर्स डे कि हार्दिक शुभकामनये..
आज का दिन सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्मदिन है जो एक महान  अध्यापक थे और उनके जन्म दिन पर ही ये दिवस मनाया जाता है .


आज आप अपने अपने उन अध्यापको को याद करे जिन्होंने आपकी उस वक्त मदद कि जब आपको उसकी बहुत जरुरत थी .और आप उनके बारे में यहाँ लिख भी सकते हो. मेरे एक सर थे जब में क्लास ५ में थी जिनका नाम तो अब मुझे याद नहीं है पर उनकी उस वक्त उतनी उम्र थी कि हमें लगता था वो सबसे ज्यादा आगे वाले इंसान है ..उनके सारे बाल सफ़ेद थे और उनके चेहरे से उनकी उम्र ८० साल के करीब तो लगती ही थी मेरे हिसाब से. पर उनके अंदर बच्चो के लिए जितना प्यार था वो शायद ही कभी मैंने देखा किसी इंसान के अंदर . और मैं अगर मेरी बात करू तो उनका मेरे लिए ये प्यार ही था जो उन्होंने मेरे किसी भी बीमारी के बहाने को यकीन मान कर मुझे छुट्टी तो दी ही मेरा हाल लेने घर भी आये . और साथ में कुछ न कुछ मेरे लिए खाने के लिए भी वो हमेशा लाके आये. ..उनको सभी गुरु जी कहते थए थे तो वो इंग्लिश के टीचर पर उन्होंने जो प्यार कापाठ या सबके साथ अच्छाई करने का पथ पढाया उसपे आज भी अमल करने कि में कोशिश करती हूँ. आज उनकी याद आ रही है जानती हू वो अब इस दुनिया में होगे नहीं, पर जहाँ भी हो अच्छे हो दुआ है.