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Wednesday, April 2, 2008

क्या तुम कभी ये सोचते हो


क्या तुम भी कभी ये सोचते हो
की में तुम्हारी कौन हूँ
हम तुम अचानक एक दिन मिले
बन गए एक दुसरे के खास
काश ...एक दिन कोई मिला
और आ गया दिल के कितना पास
कभी तुम ये सोचते होगे की
किसी दिन अचानक युही .....
कोई और न आ जाये
मेरे इस दिल के करीब
जहाँ तुम रहते हो अभी
और आके कहीं न लेले तुम्हारी जगह

तुम ये सोचकर परेशां हो जाते होगे
अचानक से ख्यालो में में खो जाते होगे
तो में तुमसे कहना चाहूंगी
तुम जान बनकर हर पल
सीने में धड़कते हो मेरे
बनके लहू तुम रग रग में समाये हो
अब जान को निकाला तो मेरा जिस्म भी मर जायेगा
होगा न लहू रगों में तो जिस्म क्या कर पाएगा

10 comments:

Anonymous said...

wow......apne dil ki bat ko bade achhe tareeke se shabdo me dhala hai aapne...........

Anonymous said...

Abke baras badlo ke darmiya ye saaish hui.......mera ghar mitti ka tha mere hi ghar barish hui......

"Apoorv" said...

Bahut achchha.. bahut sahi halaaton ko samjha hai aapna aur bakhoobi likha hai.
Aapki rachnao me 'feelings' saaf nazar aati hai.
Isi tarah achchha likhte rahiye..

Snehil Srivastava said...

gud work..keep it up..!!

"Sonu Chandra "UDAY" said...

तुम ये सोचकर परेशां हो जाते होगे
अचानक से ख्यालो में में खो जाते होगे
तो में तुमसे कहना चाहूंगी
तुम जान बनकर हर पल
सीने में धड़कते हो मेरे
बनके लहू तुम रग रग में समाये हो
अब जान को निकाला तो मेरा जिस्म भी मर जायेगा
होगा न लहू रगों में तो जिस्म क्या कर पाएगा

Sakhi ji

bade hi Sunder Ehsahon ko apne kagaj pe utara hai

Asha Lata Saxena said...

I like to read your poems."Kya toom kbhi yah sochte ho" is heart touching.
A fine piece .
Asha

gyaneshwaari singh said...

आप सभी का धन्यवाद ....अपने सराहा

पवनेश मिश्रा said...

"क्या तुम कभी ये सोचते हो"
Single line is able to say all of the emotions which may be available at the heart of people who is suffering this condition, heart breaking thought

Manas Khatri said...

Excellent!!
Topic chosen is nice.....
Kam shabdon mein badi baat!!

gyaneshwaari singh said...

aap sabhi ka bhaut bhaut dhnyawaad