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Sunday, November 30, 2014

दिसम्बर2014 की दस्तक

दिसम्बर यानी साल का अंतिम माह समय की धार के साथ बहता इधर आ निकला ..तो इस साल २०१४ का अन्तिम माह भी दस्तक दे चुका है...सुबह का सूरज सुनहरी किरणों के साथ अपने रंग इस धरा पर बिखेर सब कुछ सुनहला कर देगा .
एक एक कर सारे महीने समय के द्वार से निकल गए और बस गए अतीत के सागर या खँडहर में जाकर छिप गए . समय की गर्त के बाहर कभी कभी निकलने का प्रयास होगा भी इनका तो कुछ पल को ही होगा ऐसा  . ये इतिहास के पन्ने भर चले माह , खट्टे मीठे रहे. सभी के साथ यही कहानी होगी ..कहीं अश्कों की बारिश कही मुस्कान सुहानी होगी . साल का ये अंतिम माह भी सबका अच्छा गुजरे ये दुआ है भगवान् से ..और नया साल सभी के लिए खुशिया लाये ये दिल की तमन्ना है . आमीन

Saturday, September 27, 2014

रेत

रेत उडकर जब भी बदन से आके लिपटती है ..तो अनेको नाम भी उड़कर बदन पर गिर चिपक जाते है और थोड़ी देर में झड जाते है



ये धुली सी रेत कह रही है....कबका धुल गया है वो एक तेरा नाम , जो इस साहिल पे लिखा था कभी ...@ 

सखी सिंह 

ye dhuli si ret kah rahi ..kab ka dhul gya hai wo ek tera naam jo is sahil pe likha tha kabhi . 

Sakhi Singh

फोटो -मृणाल शेखर

Friday, April 11, 2014

मन के भाव

हम बात करते है ..निश्छलता की....उम्मीद ये करते है की ..सबका प्यार हमारे लिए निश्छल हो ...पर क्या खुद  किसी से निश्छल प्रेम करके देखा?
हम्बात करते है कुटिलता की ..दुहाई देते है अक्सर हम लोगो के मन में बसी कुटिलता की ..और कहते है की देखो कितना मक्कार है ...पर क्या हम अपने मन की कुटिलता को दूर कर सबके लिए अपना मन  निर्मल रखते है ?
और पता है हमारे अन्दर की सबसे बड़ी  कमी क्या है? ....हम जैसा खुद नहीं करते है बिलकुल वैसा खुद के लिए करने की दुसरो से उम्मीद लगाये बैठे रहते है ...क्या है ये?...१.२५ ऍम ..१२/४/१४