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Monday, August 30, 2010

janmastami ki hardik shubhkamnaye

श्री कृष्ण जन्माष्टमी भद्र पदा के आठवें  दिन (अगस्त –सितम्बर मास ) में मनायी जाती है. इस दिन सारे संसारे में बहुत धूम धाम से श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है .लोग पूरे दिन भर व्रत रखते है और  रात को १२ बजे के बाद अपना- अपना व्रत खोलते है. मंदिरों में भगवान श्री   कृष्ण के भजनों से  कीर्तन किया जाता है, उनकी पूजा अर्चना की जाती है .
श्री कृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में इस दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है..वहाँ  ये उत्सव बहुत धूम धाम से मनाया जाता है.पूरे देश भर के भक्तजन मथुरा  पहुँच कर उनके जन्मोत्सव के समारोह में सम्मिलित होते है.इस दिन भक्तजनों का उत्साह देखने लायक होता है .हर भक्त बस कृष्ण के रंग में रंग जाता है और कृष्ण के भजन ही गाता है .

भगवान कृष्ण की महिमा को जानने के लिए भागवत  और पंचतंत्र को पढ़ा जा सकता है.उनकी लीलाओ और उनके द्वारा किये गए समस्त कार्यों  के कारण विश्व में आठवें  अवतार भगवान कृष्ण को पूजा जाता है.  कुरुझेत्र के मैदान में कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वो भगवत गीता के रूप में उपलब्ध है और यही गीता भारत के भक्ति स्कूल में भक्ति के ज्ञान के लिए मुख्य रूप से रखी जाती है. इसकी महत्वता आज विश्व के लोग भी जान  गए है इसलिए आज पूरे संसार में कृष्ण के अनुयाइयो की कमी नहीं है..हर देश में कृष्ण भक्ति धारा के अनुगामी लोग हमें मिल जायेंगे. उन सबका मानना  है कि जो कृष्ण के रंग में रंग जाता है उसको कोई दुःख नहीं होता है..वो स्वस्थ और संपन्न रहता है.राधा और कृष्ण के कमल पद मेडीटेशन के प्रमुख तत्त्व माने गए है.कहते है प्रेम हर मर्ज़ की दवा है और राधा और कृष्ण का प्रगाढ प्रेम अपने भक्तो या अनुयायियों को सब दुखो से
दूर कर प्रेम तत्त्व को समझाता है और सुखी बनाता है.
भगवान कृष्ण ज्ञान में अद्वितीय , भावो के स्वामी , महान योद्धा थे.श्री कृष्ण जैसी जिंदगी किसी ने नहीं पाई थी ..वो हर तरह से महान थे. कृष्ण की बासुरी की धुन गोपियों और सबका मन मोह लेती थी और सभी प्राणियों के  दुखो को उनकी बासुरी की धुन कम कर देती थी.
वृन्दावन और गोकुल की गलियों में कृष्ण गाये चराते थे और इसी समय ये तरह तरह की लीलाये रचाते थे. बचपन से ही इन्होने कई दुष्ट राक्षसों का वध किया और उनके क्रूर क्र्त्यो से प्राणियों को मुक्ति दिलाई. कृष्ण जी  ने उद्धव और अर्जुन को योग, भक्ति और वेदान्त के सत्य से अवगत कराया.

कृष्ण जन्माष्टमी को भारत में महिलाये अपने दरवाजे पर रंगोली सजा के भगवान कृष्ण का स्वागत करती है. तरह तरह के मिष्ठान बना कर कृष्ण जन्म   को उत्साह के साथ मानती है. दही माखन जो कृष्ण का प्रिय था उससे भगवान  का भोग लगाती है .इस दिन जगह जगह भागवत का पाठ किया जाता है.
इस तरह इस दिन का हमारे हिंदू समाज में विशेष महत्व है.

भगवान कृष्ण और राधा रानी आपके दुःख को दूर कर खुशिया भरे आप सभी के जीवन में यही मेरी प्रार्थना है.

Monday, August 23, 2010

राखी ..बंधन है प्यार का, विश्वास का..



राखी ..बंधन है प्यार का, विश्वास का..

मतलब ...राखी बहन इस विश्वास के साथ भाई की कलाई पर बांधती है की भाई उसकी रक्षा के लिए इस बंधन में बंधा उसके साथ सदा रहेगा.भाई भी बहन के विश्वास को पूरा कर सके इसके लिए पूरी कोशिश करता है.हर भाई बहन का प्यार इस बंधन से और मजबूत बनता है .
भारत देश में ही ऐसा होता है की हर रिश्ते में प्यार और विश्वास का भरपूर साथ होता है. मगर देखने में आ रहा है की कुछ समय से भारत में भी पाश्चात्य सभ्यता के अनुसार ही सब लोग अपने तक सिमटने लगे है. अब भाई और बहन के लिए ये राखी का त्यौहार महज एक परम्परा निभाने का प्रतीक है. खाना पूर्ति के लिए ही सही ये त्यौहार मना लिया जाता है. पर क्या बिना प्यार और अपनेपन के इस त्यौहार को बनाना सार्थक है ? मेरे हिसाब से तो कतई नहीं.
हर रिश्ता फलता फूलता है सिर्फ और सिर्फ प्यार के आधार पर.बिना इस आधार   के रिश्ते का कोई अस्तित्व ही नहीं बचता . ये त्यौहार जो हम पुराने ज़माने से बनाते आ रहे है इसका आधार बस प्यार है उअर इसलिए इन परम्पराओ को प्यार के साथ निभाने का हम सभी को संकल्प करना चाहिए.क्यों की भारत में ही ऐसा होता है प्यार और विश्वास के साथ सब रिश्ते आपस में मजबूती से गुंथे है . और हर साल ये त्यौहार जब भी आता है भाई बहन के प्यार को नयी मजबूती देके जाता है. हर लम्हा इस दिन यही बताता है की भाई और बहन की मायने बहुत है एक दूसरे के लिए. और ये बात सिद्दत से जो महसूस करता है वो वह इंसान होता है जिसकी भाई या फिर बहन नहीं होती है.

आइये अपने इस प्यारे से त्यौहार पर हम सबही अपने भाई या बहन को अपने प्यार का अहसास प्यार एक साथ कराये और अपने बंधन को एक मजबूती प्रदान करे.ताकि बचपन से संग रहा और पला बढ़ा ये रिश्ता सदा हसता  रहे एवं फलता रहे .

आप सभी को रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाये.