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Saturday, February 18, 2012

एक दीवाना था ..एक जिंदगी दो से एक बनी


एक नज़र पढते ही वो कोमलता के साथ कैसे हृदय में उतरी,  उसकी  उसको भी खबर न हुई . खबर हुई तब जब उसके अंदर एक बैचैनी ने जन्म ले लिया और कर दिया जुदा खुद से उसे.
उसके भीतर ही भीतर रहने लगी थी वो बनके रूह य कहू साया जो आँखों के रास्ते उसमें धीरे से उतर गयी थी एक ही पल में .
खुद को रोकते रोकते भी उसने जाकर उस हसीं नाजनीन को  अहसास अपना जता ही दिया पर क्या हुआ नाराजगी ???

हां  भी या  कहे नहीं भी . हां इसलिए कि बिना कुछ कहे उस लड़की का कहीं चले जाना एक गुस्से के इज़हार जैसा लगा लड़के को. और न इसलिए कि लड़की को एक सुखद अहसास ने आ घेरा जब उसने देखा कि लड़का उसके पीछे उसको ढूंढता भुआ आ ही गया .

क्या यही सच है  एक जीवन का ???

हां अक्सर यही होता है जो हम सोचते है तस्वीर का रुख वैसा न हो दूर होता है और हम समझते है कि ऐसा है वैसा है .
लगता है ये चीज़ य इंसान हमें पसंद नहीं है ...पर जब वोही न मिले बाकि सब मिले तब अहसास होता है कि हमें तो उसी कि चाहत है बाकि चीज़े हमें खुश नहीं कर सकती . उसका मिलना हमें जिंदगी भर कि खुशिया दे सकता है .
फिर मिलना उसी इंसान से, वो भी चलते चलते कहीं यूंही अचानक  ...और वो भी उस वक्त जब उसके साये यादों के  रूप में हम पर छाए हो य हमारे ही साथ चलने पर आमादा हो , कितन सुखद आश्चर्य भरा पाल होगा न वो . बस फिर  लगता है उन ही पलों में हमारी पूरी  दुनिया सिमट जाये.
और बिना एक पल गवाए उसी पल में वो  जिंदगी जीने के लिए एक दूसरे के साथ हो लेते है .उनकी खुशिया भी तो तभी है जब वो साथ हो ..वरना...अश्क है...आहें है...तन्हाई है ...जग कि रुसवाई है .
और  उनका मिलना अहसास है , सच्चे प्यार का, समर्पण का .

कुछ ऐसा ही किस्सा होता है ..एक दीवाने का .
आज देखी  जब ये तो बहुत अपनी सी लगी या फिर   कहूँ लगा जैसे कोई  एक जिंदगी हमारे सामने  जी रहा है सच्चाई के साथ. बहुत अच्छा लगा इसको देख कर .

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