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Saturday, September 15, 2012

शब्दों का बंधन



प्यार !
प्यार तब भी होता है, जब शब्दों  के सेतु बीच में नहीं होते, प्यार तब भी होता है जब शब्दों का बंधन एक सेतु बन जाता है; एक किनारा दूसरे किनारे से मिलने को इन शब्दों के पुल से इस पार से उस पार तक आता जाता है. पर बिना इस शब्दों के सेतु के, जो चीज़ एक महीन रेखाओं से निर्मित एक सेतु दो लोगों के दरमियान बनाती है, वो सबसे मजबूत बंधन होता है. जिसके दो किनारे हर वक्त जुड़े रहते है एक दूसरे से बिना किसी को नज़र आये, बिना एक दूसरे को छुए , बिना एक दूसरे के साथ बात करे, पर वो हरपल साथ है क्यों की वो महीन रेखाएं एहसासों की बनी होती है, जो एक दिल को दूसरे दिल से जोड़ती है. हर पल किसी को अपने पास सिर्फ अहसासों  के माध्यम से ही पाया जा सकता है . पर क्या ये अहसास आज दिलों में घर करते है ? शायद लोग अपनी अपनी दुनिया में इतना व्यस्त है, की किसी दूसरे के लिए अहसास दिल में पैदा हो पाना बहुत ही मुश्किल है. पर कभी अकेले में खुद से एक सवाल करना क्या आपको नहीं लगता की किसी  के दिल में आपके लिए अहसास हो ? फिर कोई आपसे भी तो ये उम्मीद कर सकता है ...तो क्यों न हम किसी को उसके लिए अपने होने का अहसास इन महीन रेखाओं से कराये.
अहसास के बिना जिंदगी कितनी सूनी है ये तभी पता लगेगा जब आपके दिल में किसी के लिए कोई न कोई अहसास होगा. और आपके लिए कोई दिल अहसास रखे ऐसी दुआ में करुँगी.
आपका दिन शुभ हो .