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Monday, March 11, 2013

दामिनी ..रामसिंह

इंसान सबसे नज़रे चुरा सकता है , सबको बना सकता है ...मगर जब खुद से नज़रे चुराने कि बारी आती है तब वो कहा जाये..कैसे चुराए खुद से नज़रे ?
उसकी आंखे तो उसके मन में मौजूद है, फिर भला मन से बचके कोई कैसे जी सकता है ..और वोही  आज हुआ है दामिनी के केस का मुख्या अपराधी राम सिंह के साथ. भले ही हमारी न्याय व्यवस्था दामिनी को न्याय नहीं दिला सकी मगर राम सिंह ( या जिस किसी ने उसको फंसी लगायी वो जो भी हों ) किसी ने ये काम खुद ही कर दिया...भगवन उसकी (राम सिंह ) भी आत्मा को शांति दे ताकि वो आत्मा फिर अगर नया रूप ले भी तो अच्छे  रूप में सबके सामने आये ताकि फिर किसी को इतना कष्ट वो न दे सके जितना कि दामिनी ने सहा. या भगवन जाने राम सिंह कि आतम का वो क्या करेगा ..बस एक बात फिर सार्थक सिद्ध  हुई कि भगवान के यहाँ देर है अंधेर नहीं.

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