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Saturday, August 10, 2013

रंग के मौसम

तुम्हारे जैसे रंग के मौसम मुझे बहुत पसंद  है ..उसने जब मुझसे कहा में बहुत जोर से हस दी . 
मेरे जैसे रंग के मौसम ? क्या मतलब है तुम्हारा मैंने हस्ते हुए ही पूछा .
तब जैसे उसके चेहरे पर मौसम का रंग आकार टिक गया और एक हल्का सा खुमार आँखों में भरते हुए  उसने कहा था मुझसे कि जैसे ये मौसम है न सावन में कभी गिला सा है, कभी पतझड़ सा बेनूर और कभी बसंत  सा पुरनूर ..वैसे ही तो तुम भी हों एक पल में सावन की तरह आँखों से बारिश करती हुई , कभी उदास चेहरे पर पतझड़ का आलम लाती हुई और कभी हसती आंखे..गुलाबी गाल और इन्द्र धनुषी रंग बिखराती हुई तुम..क्या इन रंग बदलते मौसमों से कमतर हों ..और मैं अवाक सी इन बातो को सुन उनमे घुली जा रही थी ..कि शायद कोई और मौसम मेरे भीतर बस जाए.
फिर मुझे अहसास हुआ ये मौसम और जीवन दोनो तो एक ही जैसे है जो मुझे एक दूसरे से जोड़े रखते है . 12. 4 am...11/8/13

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