ताज़ा प्रविष्ठिया :


विजेट आपके ब्लॉग पर

Saturday, August 10, 2013

sukoon..सुकून

अगर शब्द है तुम्हारे पास तो सुकून है
मेरा सुकून खो जाता है जब शब्द नहीं होते

agar sahbd hai tumhare pass to sukun hai
mera sukoon kho jata hai jab shabd nahi hote....12.50 am...11/8/13

रंग के मौसम

तुम्हारे जैसे रंग के मौसम मुझे बहुत पसंद  है ..उसने जब मुझसे कहा में बहुत जोर से हस दी . 
मेरे जैसे रंग के मौसम ? क्या मतलब है तुम्हारा मैंने हस्ते हुए ही पूछा .
तब जैसे उसके चेहरे पर मौसम का रंग आकार टिक गया और एक हल्का सा खुमार आँखों में भरते हुए  उसने कहा था मुझसे कि जैसे ये मौसम है न सावन में कभी गिला सा है, कभी पतझड़ सा बेनूर और कभी बसंत  सा पुरनूर ..वैसे ही तो तुम भी हों एक पल में सावन की तरह आँखों से बारिश करती हुई , कभी उदास चेहरे पर पतझड़ का आलम लाती हुई और कभी हसती आंखे..गुलाबी गाल और इन्द्र धनुषी रंग बिखराती हुई तुम..क्या इन रंग बदलते मौसमों से कमतर हों ..और मैं अवाक सी इन बातो को सुन उनमे घुली जा रही थी ..कि शायद कोई और मौसम मेरे भीतर बस जाए.
फिर मुझे अहसास हुआ ये मौसम और जीवन दोनो तो एक ही जैसे है जो मुझे एक दूसरे से जोड़े रखते है . 12. 4 am...11/8/13

Tuesday, August 6, 2013

शब्द

अक्सर जब मन उलझनों में जकड़ने लगता है ...तब शब्द संबल बन 

जाते है और आकर कहते है ..सब कुछ कर सकते है जब हम साथ हों 

..शब्दों का कमाल देखो फिर से सारी उलझाने जैसे दूर भागने लगती है 

..और नयी स्फूर्ति के साथ कदम आगे बढ़ने लगते है ..शुक्रिया इन 

शब्दों का जो एक पल में सारी मुश्किलों से दूर मुझे ले जाते है .