प्यार ......
हम्म हुआ न एक अजीब सा अहसास इस शब्द को सुनकर !
सच ही तो है ,ये शब्द सबके लिए अहम है क्यों की हर रिश्ता अगर किसी मजबूत नीव की दरकार रखता है तो वो है प्यार .
प्यार रिश्तों में अहसास की गर्मी, सुकून भरा साथ और विश्वास भरता है. ये रिश्तों का आपसी प्यार ही है जो हर सुख- दुःख सहने की शक्ति देता है.
आज सब कहते है वेलेंटाइन डे पश्चिमी सभ्यता का प्रतीक है. तो वो लोग ये भूल जाते है हमारे देश में प्रेम को प्राचीन काल से ही प्राथमिकता दी जाती है. प्रेम का दरिया सदा सदा से ही बहता आया है इस भारत भूमि पर.ये प्रेम सिर्फ प्रेमी प्रेमिका का प्रेम न होकर सभी रिश्तों में बसने वाला प्रेम रहा है-श्रवण कुमार का माँ-पिता के लिए प्रेम, मीरा का कृष्ण से प्रेम, नरसी भगत का अपने ठाकुर जी से प्रेम या सुपर्ण खा का अपने भाई राम से प्रेम, प्रेम के अनेक रूप है.
संत वेलेंटाइन ने प्रेम का जो सन्देश दिया उसका तात्पर्य सिर्फ प्रेमी प्रेमिका का न होकर, इंसान का इंसान के प्रति प्रेम है.इसको युवक युवतियों के प्रेम तक न सीमित न किया जाये, इसकी सीमाए तो असीमित है. अगर इस प्रेम का विस्तार पूरी दुनिया के लोगो में हो जाये तो ये दंगे फसाद क्यों हो भला?? प्यार एक सकारात्मक अहसास देता है जो हमारे अंदर एक सुखद अनुभूति भर देता है और जब पूरी दुनिया में ये सकारात्मक अहसास भर जायेगा, तो कोई नकारात्मक बुराई किसी के भी मन में उपज ही नहीं पायेगी.
जब हम १ जनवरी को पश्चिमी सभ्यता की तर्ज़ पर ही नव वर्ष मन सकते है तो १४ फरवरी को प्रेम-दिवस् मनाने में क्या बुराई है. वसंत ऋतु को जब हम सब ऋतुओं में से प्रेम का प्रतीक मान सकते है , तो इस वसंत में प्रेम-दिवस मनाने का सुखद अहसास करना सोने पे सुहागा हुआ.
तो बस आज इस वेलेंटाइन डे पर आप सभी लोगों से मेरा ये अनुरोध है, ‘अपने प्यार का अहसास अपने सगे संबंधियो और दोस्तों को कराये फिर देखिये आपके हर और कितनी प्यार भरी मुस्कराहट आपको खुशियों के रूप में मिलती है. जब ये मुकुरती खुशी आपको अपने चारों और बिखरी मिलेगी तब आपको इस ढाई आखर की शक्ति का अहसास खुद बा खुद हो जायेगा.फिर मन यही गायेगा:-
“सिर्फ अहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो”
सभी को प्यार भरे रिश्तों की जरुरत होती है और आजकी भागदौड भरी जिंदगी में वक्त की पाबंदियो के चलते सभी हर वक्त अपने अहसासों को बयां नहीं कर सकते है तो अच्छा है न कि सभी एक ही दिन मिलकर अपने अहसासों को अपने अपने प्रियजनों के सामने दिल खोल कर रख दें और एक नयी उर्जा अपने रिश्तों में भर ले.
आप सभी को प्रेम दिवस् कि हार्दिक शुभकामनाएं
सखी प्यार के साथ
हम्म हुआ न एक अजीब सा अहसास इस शब्द को सुनकर !
सच ही तो है ,ये शब्द सबके लिए अहम है क्यों की हर रिश्ता अगर किसी मजबूत नीव की दरकार रखता है तो वो है प्यार .
प्यार रिश्तों में अहसास की गर्मी, सुकून भरा साथ और विश्वास भरता है. ये रिश्तों का आपसी प्यार ही है जो हर सुख- दुःख सहने की शक्ति देता है.
आज सब कहते है वेलेंटाइन डे पश्चिमी सभ्यता का प्रतीक है. तो वो लोग ये भूल जाते है हमारे देश में प्रेम को प्राचीन काल से ही प्राथमिकता दी जाती है. प्रेम का दरिया सदा सदा से ही बहता आया है इस भारत भूमि पर.ये प्रेम सिर्फ प्रेमी प्रेमिका का प्रेम न होकर सभी रिश्तों में बसने वाला प्रेम रहा है-श्रवण कुमार का माँ-पिता के लिए प्रेम, मीरा का कृष्ण से प्रेम, नरसी भगत का अपने ठाकुर जी से प्रेम या सुपर्ण खा का अपने भाई राम से प्रेम, प्रेम के अनेक रूप है.
संत वेलेंटाइन ने प्रेम का जो सन्देश दिया उसका तात्पर्य सिर्फ प्रेमी प्रेमिका का न होकर, इंसान का इंसान के प्रति प्रेम है.इसको युवक युवतियों के प्रेम तक न सीमित न किया जाये, इसकी सीमाए तो असीमित है. अगर इस प्रेम का विस्तार पूरी दुनिया के लोगो में हो जाये तो ये दंगे फसाद क्यों हो भला?? प्यार एक सकारात्मक अहसास देता है जो हमारे अंदर एक सुखद अनुभूति भर देता है और जब पूरी दुनिया में ये सकारात्मक अहसास भर जायेगा, तो कोई नकारात्मक बुराई किसी के भी मन में उपज ही नहीं पायेगी.
जब हम १ जनवरी को पश्चिमी सभ्यता की तर्ज़ पर ही नव वर्ष मन सकते है तो १४ फरवरी को प्रेम-दिवस् मनाने में क्या बुराई है. वसंत ऋतु को जब हम सब ऋतुओं में से प्रेम का प्रतीक मान सकते है , तो इस वसंत में प्रेम-दिवस मनाने का सुखद अहसास करना सोने पे सुहागा हुआ.
तो बस आज इस वेलेंटाइन डे पर आप सभी लोगों से मेरा ये अनुरोध है, ‘अपने प्यार का अहसास अपने सगे संबंधियो और दोस्तों को कराये फिर देखिये आपके हर और कितनी प्यार भरी मुस्कराहट आपको खुशियों के रूप में मिलती है. जब ये मुकुरती खुशी आपको अपने चारों और बिखरी मिलेगी तब आपको इस ढाई आखर की शक्ति का अहसास खुद बा खुद हो जायेगा.फिर मन यही गायेगा:-
“सिर्फ अहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो”
सभी को प्यार भरे रिश्तों की जरुरत होती है और आजकी भागदौड भरी जिंदगी में वक्त की पाबंदियो के चलते सभी हर वक्त अपने अहसासों को बयां नहीं कर सकते है तो अच्छा है न कि सभी एक ही दिन मिलकर अपने अहसासों को अपने अपने प्रियजनों के सामने दिल खोल कर रख दें और एक नयी उर्जा अपने रिश्तों में भर ले.
आप सभी को प्रेम दिवस् कि हार्दिक शुभकामनाएं
सखी प्यार के साथ
14 comments:
EKDUM SATIK AUR PRASANGIK BAT KI HAI AAPNE...
बहुत ही गहराई से लिखा है आपने. सच ऐसी ही मानसिकता की आवश्यकता है.
अच्छा और सुंदर
- विजय
Bahut acchha likha hai ! Very good.
Dr ram ji ..vijay ji aur apurva
aap sabhi ne saraha mera likha acha laga
sakhi kamal ke vichar hai...pyar ko aapne bakhubi samjha hai...meri tarah....aapke vichar pavitra sondhi mitti ki mahak jaise lagte hai badhai....aap kamal ho dear...
shukriya ravi ji
apne samjha mera vichar jan kar khushi hui...
me kamaal nahi bas ek insaan hu jo shayad ahsaas ko smajh leti hai....
shukriya aap aaye ayhaa..
sakhi
Prem ko vyapak arth pradan karne ki ek sarahiniya koshish,
Badhai
shukriya indian ji.....
apne koshis ko saraha
Hm indians ki 1 khashiyat rahi hai, wo ye ki hamne har gair sanskruti ko apnaya hai... 1 na 1 din ham Valentine's day ko bhi apna hi lenge... bas hamare samaz ko aaj thodi sadbuddhi ki jaroorat hai...
logon ko sochna chahiye ki agr Shri Krishna ne prem ki banshi bajai to kisi ko koi harj na hua to fir aaj ke PYAAR se wo kyon muh modte hain..
maahi ji
logo jara der se jagte hai ye to ham sab mante hai na...
lekin ye pyar aisa hai jo khud ko hamesha se manwata rah ahai chahe wo marke hi kyo na hua ho..jaisa laila majnoo aur sree farhaad..inka naam bhi snag me kyo liya jata hai unke pyar ke karan hi na..
phir har riste me pyar hai aur hamare desh em har riste me pyar basta hai isliye aja bhi joint family yahi mil pati hai india mein
..isliye dont worry
प्यार जिंदगी की वो गहराई है जिसे पाकर ही हम अहसासों को समझ पाते है ये प्यार ही है जो हर सुख- दुःख सहने की शक्ति देता है.
सखी जी आपने बहुत ही गहराई ओर सचाई से प्यार को परिभाषित किया है .
shukriya manoj ji
aapka blog to sahitya ka khazana hai. bahut hi sunder aur dilchasp...
aapka blog to sahitya ka khazana hai. bahut hi sunder aur dilchasp...
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