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Saturday, June 12, 2010

बारिश की फुहारे

















रिमझिम
मेघा पानी ला
प्यासी धारा है प्यास बुझा

महीनो से तपती हुई धरती को जैसे प्यास बुझाने का अवसर मिला इस बारिश से . मौसम की इस बारिशकी फुहार ने जनजीवन को बहुत राहत दी है .
गोरी को तो जैसे सावन ने पिया मिलन की छूट दे दी हो , तभी तो उसका मन मयूर गा उठा है ...


रिमझिम रिमझिम रिमझिम रिमझिम
पड़े फुहारे जब रिमझिम रिमझिम,
ऐसी बरखा बरसाए ये सावन
भीगे भीगे हों मेरे तन मन,
ठंडी फुहारे जब हमें भिगाए
मन भर के साजन तेरे संग,
मन का मयूरा पि पि बोले
मेरा प्यासा सा मन डोले
रिमझिम बारिश मे ओ साजन
आ संग भीगे हम तुम.


बारिश की फुहारे हर छोटे बड़े के मन को प्रफुल्लित कर जाती है. गर्मी जब अपनी चरम सीमा पर हो तोबारिश का होना एक बहुत सुखद अनुभूति दे जाता है .
बच्चो को गर्मी से बचने के लिए माँ बाप बहार नहीं जाने देते है ..तब ये बारिश उनके खेलने का बहानालेकर आती है और बाल मन को बहुत भाती है.

बस बारिश खुशियो का बहाना सी लगने लगती है तब..जब हर मन को ये खुश कर जाती है .बस ये बदलऐसे ही पानी भर कर लाये और इस प्यासी धरा और पशु पक्षियों की प्यास बुझाए .

7 comments:

ritu rajan said...

sach sakhi ji... baarish ki phuhar to dharti hi nh balki hamare mann ko bhi nai thandak dekar jaati hai... jal hi jeevan hai, kuchh der baarish na aaye to jeevan dagmgaa jata hai. nav jeevan ki chetna ka sanchaar ye baarish hi to karti hai. . . . bahut achhi lagi aapki ye kavita.

gyaneshwaari singh said...

shukriya ritu ji

jal hi jeevan hai isko bachana ham sabka dharm hai tabhi jeevan sucharu roop se chal payega

aap ayee acha laga

देवेन्द्र पाण्डेय said...

बारिश की फुहारें कुछ इधर भी हैं.

gyaneshwaari singh said...

apki barish ki fuhar ke darshan kiyte hai mene achi lagi

kavi kulwant said...

wow! ati sundar.. bahut khoob..

खोरेन्द्र said...

bahut achchha likhi hai aap

gyaneshwaari singh said...

kavi kulwant ji aur kishor ji..bahut bahut shukriya