ताज़ा प्रविष्ठिया :


विजेट आपके ब्लॉग पर

Sunday, May 8, 2011

माँ

मां, इस एक शब्द को सुनने के लिए नारी अपने समस्त अस्तित्व को दांव पर


लगाने को तैयार हो जाती है। नारी अपनी संतान को एक बार जन्म देती है।

लेकिन सच तो यह है कि बच्चे के बड़े होने तक अलग-अलग रूपों में खुद उसका

पुनर्जन्म होता है। यानी एक शिशु के जन्म के साथ ही स्त्री के कई खूबसूरत

रूपों में लगातार अभिव्यक्त होती है।





माँ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एक दिवस नहीं एक सदी भ‍ी कम

है। किसी ने कहा है ना कि सारे सागर की स्याही बना ली जाए और सारी धरती

को कागज मान कर लिखा जाए तब भी मां की महिमा नहीं लिखी जा सकती। इसीलिए

हर बच्चा कहता है मेरी मां सबसे अच्छी है। जबकि मां, इसकी- उसकी नहीं हर

किसी की अच्छी ही होती है, क्योंकि वह मां होती है। मातृ दिवस पर हर मां

को उसके अनूठे अनमोल मातृ-बोध की बध





मां, कितना मीठा, कितना अपना, कितना गहरा और कितना खूबसूरत शब्द है।

समूची पृथ्वी पर बस यही एक पावन रिश्ता है जिसमें कोई कपट नहीं होता। कोई

प्रदूषण नहीं होता। इस एक रिश्ते में निहित है छलछलाता ममता का सागर।

शीतल और सुगंधित बयार का कोमल अहसास। इस रिश्‍ते की गुदगुदाती गोद में

ऐसी अव्यक्त अनुभूति छुपी है जैसे हरी, ठंडी व कोमल दूब



माँ जब भी रोती थी जब बेटा खाना नहीं खाता था, और माँ आज भी रोती है जब

बेटा खाना नहीं देता,





HAPPY MOTHER DAY

इस मेसेज को इतना फॉरवर्ड करो के कभी कोई माँ भूखी न सोये

(not mine)