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Sunday, December 4, 2011

सदा बहार देव जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए

ek sadabahar abhineta ka behad khubsurat andaaz


अब हम दिसम्बर २०११ के दरवाजे मैं  प्रवेश कर चुके है और इसके पार जाकर हम २०१२ में प्रवेश कर जायेंगे अर्थात ये साल अब हमसे विदा लेने को तेयार हो चुका है . इस साल ने हमें बहुत कुछ दिया जिसको हम ताउम्र याद रखेंगे किन्तु इस साल ने जाते जाते जो हमसे लिया उसको शब्दों में पूरी तरह ब्यान करना नामुमकिन है. इस साल २०११  ने कला और संगीत कि दुनिया में जो रिक्तता उत्पन्न कि है उसको भर पाना शायद मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा है. एक के बाद एक अपनी अपनी कला में निपुण लोगो का इस दुनिया से विदा लेना इस बात का इशारा कर रहा है कि ये साल हमारी सुपरिचित हस्तियों को हमसे जुदा कर अपने साल ही ले जाना चाहता है. इस साल २०११ को न जाने क्यों इन सबसे इतना प्यार हुआ कि इन सबको अपने साथ ले जा रह है.ये रहेंगे तो ताउम्र लेकिन अपनी कला के जरिये हम सबके दिलो में.
आज जब पता लगा कि अपनी फिल्मी दुनिया के एक स्तंभ देवानंद जी नहीं रहे तो दिल को एक और झटका लगा. उनके जाने से सदाबहार सिनेमा जगत में कुछ पल को सन्नाटा छा गया हो. उनके साथ ही फिल्मी दुनिया का एक अध्याय खतम हो गया या कहे एक युग उनके साथ ही चला गया. वो भी एक ऐसा स्वर्णिम युग है देवानंद जी का युग, जिसने अपने समकालीन, वर्तमान और आने वाले दिनों में फिल्मी जगत से जुड़े कलाकारों को बहुत कुछ सिखाने का काम किया और करेगा. एक निर्देशक कि तरह देवानंद जी कि फिल्मे सभी को राह दिखाएंगी या सवारेंगी . १९४९ वो समय था जब भारत ने खुली हवा में सास लेना सिखा ही था और नौजवान कुछ नया करने की कोशिश में लगे हुए थे. उसी समय युवा देव जी ने अपने भाइयो के साथ मिलकर अपनी प्रोडक्शन कंपनी नवकेतन कि शुरुआत की. जिसके बैनर तले देव जी कई कालजयी फिल्मो का निर्माण कार्य संपन्न किया. देवानंद जी ने अपने फिल्मी सफर में बहुत कुछ ऐसा किया जो सबके लिए अनुसरण करने लायक बन गया था . उनके तरह के बाल रखने का स्टाइल हो या उनके स्टाइल में पतलून पहनने का स्टाइल. सब कुछ लोगो को बहुत भाया और इसलिए लोगो ने उनके उन सब स्टाईल को आगे बढकर दिल खोल कर अपनाया .इस लिए उनको ट्रेंड सेटर कहना भी गलत नहीं होगा . उन्होंने बहुत सी फिल्मो में काम किया . ३१ फिल्मो का निर्माण किया और १९ फिल्मो का निर्देशन किया था . फ़िल्मी दुनिया के कई  उम्दा कलाकारों को, फिल्मो में लाने का सारा श्रेय देवानंद जी को ही जाता है . इनमें से जॉनी वॉकर, जीनातमान , टीनामुनीम (जिनको कि अब सभी टीना अम्बानी के नाम से जानते है) प्रमुख नाम है. देवानंद जी को उनके द्वारा अभिनीत फिल्म “कालापानी” और “गाइड” के लिए दो बार फिल्म फेयर पुरुस्कार प्राप्त हुआ .  देवानंद को २००१ में पद्मभूषण और २००२ में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया.
एक  अभिनेता, निर्देशक तथा निर्माता के रूप में देवानंद जी कि  प्रतिभा समय समय पर सामने आयी। उनके निधन से अपूरणीय क्षति हुई है। हमारी और से उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित है. 'उन्हें हमेशा हिंदी सिनेमा के सदाबहार नायक के रूप में याद किया जाएगा।'

2 comments:

Amit K Sagar said...

देव साब के जाने का दुःख है. और सच है यह साल जाते-जाते बहुत कुछ ले गया हमसे! :-(
--
भावभीनी श्रद्धांजलि

gyaneshwaari singh said...

ji sahi kaha apne