संध्या शांताराम: "उनके कालजयी नृत्य और अभिव्यक्तियों ने भारतीय सिनेमा को समृद्ध किया।"
चल जा रे हट नटखट , गीत पर नृत्य करती अभिनेत्री से कौन नहीं परिचित होगा, ये गीत भारतीय सिनेमा में एक विशेष आकर्षण है। इस गीत पर औरत और आदमी की भूमिका निभाती, नृत्य कर रही अभिनेत्री का नाम है संध्या शांताराम । संध्या जी की अनोखी भाव भंगिमा इस नृत्य की जान है। 4 अक्टूबर 2025 यानि की कल, मुंबई में 87 वर्ष की आयु में संध्या जी का निधन हो गया।
भारतीय सिनेमा जगत ने कल एक युग का अंत देखा है। दिग्गज अभिनेत्री और नृत्यांगना संध्या शांताराम (जन्म नाम: विजया देशमुख) का 4 अक्टूबर 2025 को मुंबई में निधन हो गया। 13 सितंबर 1938 को जन्मी संध्या जी ने 1950 और 1960 के दशक में हिंदी और मराठी सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी।
प्रारंभिक जीवन और सिनेमा में प्रवेश-
विजया देशमुख के रूप में जन्मी संध्या ने महान फिल्मकार वी. शांताराम के साथ काम करते हुए अपने करियर की शुरुआत की। बाद में उन्होंने वी. शांताराम से विवाह किया और संध्या शांताराम के नाम से प्रसिद्ध हुईं। यह पेशेवर और व्यक्तिगत साझेदारी भारतीय सिनेमा इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गई।
महान फिल्मकार वी. शांताराम (शांताराम राजाराम वानकुड्रे) का जन्म 1901 में कोल्हापुर, महाराष्ट्र में हुआ था। वे एक पूर्ण फिल्मकार थे - एक कुशल अभिनेता, नवीन संपादक, दूरदर्शी निर्देशक और निर्माता। उन्होंने 1920 में महाराष्ट्र फिल्म कंपनी में छोटे-मोटे काम करके अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की और सुरेखा हरण (1921) में भगवान विष्णु की भूमिका निभाकर चर्चा में आए। 1929 में उन्होंने कोल्हापुर में प्रभात फिल्म कंपनी की स्थापना की और बाद में 1933 में इसे पुणे स्थानांतरित किया। जो आज फिल्म और टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के नाम से प्रसिद्द संस्थान है ।
वी. शांताराम जी के बारे में विस्तृत चर्चा फिर कभी करुँगी हैं।
यादगार फिल्में और प्रदर्शन-
संध्या जी की फिल्मी यात्रा कई क्लासिक फिल्मों से सुशोभित है:
झनक झनक पायल बाजे (1955)
यह संगीतमय फिल्म उनके करियर की शुरुआती सफलताओं में से एक थी, जिसमें उनकी नृत्य प्रतिभा का जबरदस्त प्रदर्शन हुआ।
दो आंखें बारह हाथ (1957)
वी. शांताराम की इस अविस्मरणीय फिल्म में उनकी भूमिका आज भी याद की जाती है। यह फिल्म भारतीय सिनेमा की एक मील का पत्थर मानी जाती है।
नवरंग (1959)
इस फिल्म में संध्या जी ने विशेष ख्याति प्राप्त की। "अरे जा रे हट नटखट" गाने पर उनका नृत्य आज भी याद किया जाता है। इस भूमिका के लिए उन्होंने विशेष रूप से शास्त्रीय नृत्य सीखा और फिल्म की शूटिंग के दौरान असली हाथियों और घोड़ों के साथ निडरता से काम किया।
पिंजरा (1972)
यह मराठी फिल्म संध्या जी के करियर की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है। मराठी सिनेमा में उनका यह प्रदर्शन अविस्मरणीय माना जाता है।
अन्य उल्लेखनीय फिल्में
• जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली
• अमर भूपाली
कला और प्रतिभा-
संध्या शांताराम केवल एक अभिनेत्री नहीं थीं, बल्कि एक प्रतिभाशाली नृत्यांगना भी थीं। उनकी सुंदर नृत्य शैली, भावपूर्ण अभिनय और कैमरे के सामने उनका आत्मविश्वास उन्हें उस दौर की विशिष्ट अभिनेत्रियों में से एक बनाता था। वे अपनी भूमिकाओं में लालित्य, साहस और बेजोड़ कलात्मकता का संयोजन करती थीं।
उनकी विशेषता यह थी कि वे खतरनाक दृश्यों को भी बिना किसी डर के निभाती थीं। नवरंग की शूटिंग के दौरान असली हाथियों और घोड़ों के साथ काम करना उनके समर्पण और साहस का उदाहरण है।
सिनेमा जगत को योगदान-
संध्या जी ने हिंदी और मराठी दोनों सिनेमा को समृद्ध किया। उन्होंने वी. शांताराम की कई महत्वपूर्ण फिल्मों में मुख्य भूमिकाएं निभाईं और भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग का हिस्सा बनीं। उनका काम भारतीय फिल्म इतिहास का एक अभिन्न अंग है।
अंतिम संस्कार-
संध्या शांताराम का अंतिम संस्कार 4 अक्टूबर 2025 को मुंबई के शिवाजी पार्क श्मशान में किया गया। फिल्म जगत और प्रशंसकों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
विरासत-
संध्या शांताराम ने भारतीय सिनेमा को एक समृद्ध विरासत दी है। उनकी फिल्में, उनका नृत्य और उनका अभिनय आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। वे उस युग की प्रतिनिधि थीं जब सिनेमा में कला, संस्कृति और सौंदर्य का सुंदर मेल होता था।
भारतीय सिनेमा के इतिहास में संध्या शांताराम का नाम हमेशा स्वर्णाक्षरों में लिखा रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
लेखिका - डॉ ज्ञानेश्वरी सिंह ,
पुणे , महाराष्ट्र
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